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सुषमा स्वराज की गर्जना

Sudhendu Ojha

जिन्ना के पाकिस्तान का द्विराष्ट्र सिद्धान्त का मूल ही यह है कि हिन्दू-मुस्लिम एक नहीं रह सकते। ऐसे में हिंदुस्तान के साथ शांति कभी नहीं रखी जसकती है, ऐसा पाकिस्तान की सेना का भी मानना है।

विदेशी मामले और रक्षा से जुड़े एक सामन्या जानकार को भी इस बात की जानकारी थी कि जिस प्रकार पाकिस्तानी सेना ने पाकिस्तानी न्यायाधीशों पर शिकंजा कस कर रेकॉर्ड समय में नवाज़ शरीफ को सत्ता से बेदखल कर अडियाला जेल में बंद किया और आम चुनावों में चुनाव-केन्द्रों में मिलिट्री प्रेक्षक रख इमरान खान को अपना मुखौटा बनाया है उससे पहली बार पाकिस्तान की मिलिट्री को एक ऐसा कठपुतली प्रधानमंत्री हासिल हुआ है जो बिना किसी जनाधार के है और जो कभी भी सेना के विरोध में जाने की बात सोच भी नहीं सकता। यही कारण है कि भारत सरकार पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को गंभीरतापूर्वक नहीं ले रही थी किन्तु अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल के तहत इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं और उनके वक्तव्यों पर शिष्टाचार प्रकट करने की मजबूरी भी भारत सरकार को निभानी थी।

यही कारण था कि न चाहते हुए भी भारत को पाकिस्तान से बातचीत शुरू करने की उनकी मांग पर सहमति देनी पड़ी। ऐसा हमेशा होता आया है, और इसके रिकोर्डेड प्रमाण हैं कि जब कभी पाकिस्तान की नागरिक सरकार (पाकिस्तानी सेना के इशारे पर) भारत सरकार के साथ बातचीत की पहल करती है, पाकिस्तानी सेना भारत के विरोध में अवश्य ही कोई न कोई ऐसी आतंकी घटना को अंजाम देती है जिससे शांति-वार्ता का औचित्य ही समाप्त हो जाता है और वार्ता या तो भंग कर दी जाती है अथवा उसके परिणामों का संज्ञान नहीं लिया जाता और इस वार्ता की विफलता का ठीकरा भी पाकिस्तान द्वारा भारत के सिर पर फोड़ दिया जाता है।

वार्ता पर भारतीय सहमति आते ही भारत-पाकिस्तान सीमा पर तीन  भारतीय सैनिकों का अपहरण करके उनमें से एक को मार दिया गया जिसके चलते भारत ने पाकिस्तान के साथ किसी भी शांति वार्ता में हिस्सा न लेने का निर्णय लिया और बातचीत को स्थगित घोषित कर दिया गया। किन्तु इस बार भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तानी दोगलेपन को उजागर करने का भी फैसला लिया, परिणाम यह रहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के तिहत्तरवें सत्र को संबोधित करते हुए भारतीय विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने न केवल आतंक को लेकर पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को ही सभी राष्ट्रों के बीच रखा बल्कि विश्व में आतंकवाद को न रोक पाने पर संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका को भी सवालों के कटघरे में सफलतापूर्वक खड़ा किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आतंकवाद के विषय में मूलभूत सुधारों के अभाव में संयुक्त राष्ट्र के अप्रासंगिक हो जाने का खतरा है।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान के आतंकी रिश्ते को लेकर उस पर जोरदार हमला किया और भारत में जारी आतंकवाद के लिए पूरी तरह से पाक को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने दुनिया के देशों को सावधान किया कि अगर पाकिस्तान की आतंकी हरकतों पर लगाम नहीं लगाया गया, तो पूरी दुनिया इसकी जकड़ में आ सकती है। उन्होंने भारत सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री इमरान खान के वार्ता के प्रस्ताव को स्वीकार करने और बाद में इससे इन्कार करने की वजह भी बताई। सुश्री सुषमा स्वराज ने कहा कि आतंकियों का गुणगान करने वालों के साथ बातचीत नहीं की जा सकती है। उन्हों ने कहा कि भारत हमेशा से पाकिस्तान से बात करने को तैयार रहता है। पूर्व की सरकारों ने भी उसके साथ बात की है। इस बार भी इमरान खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर न्यूयार्क में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत का प्रस्ताव रखा था। भारत ने इसे स्वीकार भी किया था। लेकिन, उसके अगले दिन ही कश्मीर में तीन पुलिसकर्मियों को अगवा कर आतंकियों ने हत्या कर दी। ऐसे में बातचीत कैसे हो सकती है?

भारतीय विदेश मंत्री ने भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों से अनुरोध किया कि वह आतंक की परिभाषा तय करने संबंधी प्रस्ताव को पारित करवाने में मदद करे। भारत पिछले पांच वर्षों से यह आग्रह कर रहा है कि सिर्फ आतंकियों के नाम की सूची जारी करने से भी काम नहीं चलेगा बल्कि हमें आतंकियों और इन्हें समर्थन देने वालों को जिम्मेदार ठहराने संबंधी नियम भी बनाने होंगे। भारत ने इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय  आतंकवाद पर समग्र समझौते का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र संघ में किया हुआ है। उन्होंने कहा, “एक तरफ हम आतंकवाद से लड़ना चाहते हैं, लेकिन दूसरी तरफ उसकी परिभाषा भी तय नहीं कर पा रहे हैं।” विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में व्यापक सुधार की भी जोरदार वकालत की।

उन्होंने कहा कि भारत ने 1996 में संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि (सीसीआईटी) के संबंध में एक मसौदा दस्तावेज का प्रस्ताव दिया था। लेकिन वह मसौदा आज तक मसौदा ही बना हुआ है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य इस मुद्दे पर एक साझा भाषा पर सहमत नहीं हो सके हैं।

उन्होंने कहा कि एक ओर हम आतंकवाद से लड़ना चाहते हैं वहीं दूसरी ओर, हम इसे परिभाषित नहीं कर सकते।  सुषमा ने कहा कि यही कारण है कि जिनके सिर पर इनाम घोषित है, उन्हें संयुक्त राष्ट्र के एक सदस्य देश द्वारा आजादी के नायक के रूप में पेश किया जाता है, उनका वित्त पोषण किया जाता है और सशस्त्र बनाया जाता है। (दृष्टव्य है कि पाकिस्तानी प्रधान मंत्री के निर्देश पर पाकिस्तान के एक मंत्री ने हाफिज़ सईद की सार्वजनिक रैली में भी हिस्सा लिया।) 

विदेश मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि इस संयुक्त राष्ट्र की महत्ता और छवि धीरे-धीरे धुंधली होती जा रही है।

स्वराज ने पाकिस्तान की सरकार की तरफ से कश्मीर के आतंकियों का महिमामंडन करने का मामला भी उठाया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंकियों को स्वतंत्रता सेनानी कहा जाता है और उन पर डाक टिकट जारी किए जाते हैं। भारत कई दशकों से आतंकवाद से पीड़ित है। दुर्भाग्य से आतंकवाद सीमा पार एक पड़ोसी देश से भेजा जा रहा है।

पाकिस्तान में खुले घूम रहे 26/11 हमले के मास्टरमाइंड का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका पर हुए हमले का मास्टरमाइंड (लादेन) तो मारा गया लेकिन सईद अब तक खुला घूम रहा है। वह रैलियां करता है और भारत को धमकियां भी देता है। उन्होंने कहा कि एक ओर हम आतंकवाद से लड़ना चाहते हैं वहीं दूसरी ओर, हम इसे परिभाषित नहीं कर सकते यही कारण है कि जिनके सिर पर आतंकी होने का इनाम घोषित है, उन्हें संयुक्त राष्ट्र के एक सदस्य देश द्वारा आजादी के नायक के रूप में पेश किया जाता है, उनको धन मुहैया कराया जाता है और सशस्त्र बनाया जाता है।

भारतीय विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के हमले से बौखलाए पाकिस्तान ने भारत की प्रतिपक्षी पार्टियों की तर्ज़ पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को आतंकवादी संगठन बताने का हास्यास्पद प्रयास किया। उसने आरएसएस को फासीवादी और समाज को तोड़ने वाला संगठन बताते हुए मोदी सरकार की निंदा करने की कोशिश की। भारत के विरोधी दलों और नक्सल समूहों का जिनमें अल्ट्रा-वाम दल शामिल हैं का समर्थन करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में बोलते हुए पाकिस्तानी राजनयिक साद वरिच ये भी कहा कि भारत में ईसाई और मुस्लिम अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं। साद वरिच ने उत्तर-प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम भी संयुक्त राष्ट्र के मंच से उछाला। पाकिस्तान ने कहा कि एक हिंदू अतिवादी (योगी आदित्यनाथ) भारत के सबसे बड़े राज्य में मुख्यमंत्री है और खुले आम हिंदू श्रेष्ठता की बात करता है।

इसके पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने आरोप लगाया कि भारत इस्लामाबाद में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। कुरैशी ने आरोप लगाया कि साल 2014 में पेशावर में हुए स्कूली हमले में भारत का हाथ था।

सुधेन्दु ओझा

(डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट, जनसंदेश टाइम्स, दैनिक आज में प्रकाशित आलेख)

(विदेशी मामलों के वरिष्ठ राजनैतिक विश्लेषक)