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कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी केस: जज ने कहा “ऐसे लोगों को बख़्शा नहीं जाना चाहिए”

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने कॉमेडियन मुनव्वर फ़ारूक़ी की ज़मानत याचिका पर सोमवार को आदेश सुरक्षित रख लिया. फ़ारूक़ी को अभी कुछ और दिन जेल में रहना होगा.

मुनव्वर फ़ारूक़ी को 1 जनवरी को इंदौर पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. उनके अलावा चार अन्य लोगों को गिरफ़्तार किया गया था. इन सभी पर हिंदू देवी-देवताओं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर अभद्र टिप्पणी का आरोप लगाया गया था.

मुनव्वर फ़ारूक़ी इंदौर के मुनरो कैफ़े में अपना कार्यक्रम करने के लिये आये थे. उसी दौरान हिंद रक्षक संगठन के नेताओं ने वहां पहुंच कर हंगामा कर दिया.

आयोजक और कॉमेडियन को उसके बाद थाने ले जाया गया. तभी से मुनव्वर फ़ारूक़ी जेल में हैं और कई बार उन्होंने ज़मानत के लिये आवदेन किया है.

सोमवार को न्यायमूर्ति रोहित आर्य की सिंगल बेंच ने कहा, “आप अन्य लोगों की धार्मिक भावनाओं का अनुचित लाभ क्यों उठाते हैं. आपकी मानसिकता में ऐसा क्या है? आप अपने व्यवसाय के उद्देश्य के लिए यह कैसे कर सकते हैं?”

मुनव्वर फ़ारूक़ी की तरफ़ से हाज़िर हुये वकील विवेक तन्खा ने कहा, “उन्होंने इस मामलें में कोई अपराध नहीं किया है. उसे ज़मानत दी जानी चाहिये.”

ऐसे लोगों को बख़्शा नहीं जाना चाहिए

न्यायमूर्ति रोहित आर्य ने कहा, “ऐसे लोगों को बख़्शा नहीं जाना चाहिए. योग्यता के आधार पर इस आदेश को सुरक्षित रखूंगा.”

फ़ारूक़ी के साथ जो चार अन्य को गिरफ़्तार किया गया था उनका नाम एडविन एनथोनी, प्रखर व्यास, प्रीयम व्यास और नलिन यादव है.

फ़ारूक़ी के कार्यक्रम में भाजपा की विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ भी पहुँचे थे. गौड़ ने कहा था कि वो और उनके साथ वाले शो में गये थे और इस दौरान फ़ारूक़ी ने अभद्र टिप्पणी की थी. गौड़, हिंद रक्षक संस्था के संयोजक भी हैं.

उन्होंने आरोप लगाया, “कार्यक्रम के दौरान किसी भी तरह से दूरी नहीं बना कर रखी गई थी और कोविड की गाइडलाइन का पालन नही किया जा रहा था.”

गौड़ और उनके साथियों पर यह भी आरोप है कि उन्होंने इस दौरान फ़ारूक़ी और उनके साथ वालों के साथ मारपीट भी की थी लेकिन गौड़ ने इससे इनकार किया है.

ज़मानत मिलने के बाद भी मुश्किलें कम नहीं

वहीं अदालत में सोमवार को मौजूद एक वकील ने याचिका का विरोध करते हुये कहा, “मुनव्वर फ़ारूक़ी ने कई ऐसे वीडियो पोस्ट किए हैं जो सोशल मीडिया पर मौजूद हैं जिनमें हिंदू देवी देवताओं पर टिप्पणियां की गईं हैं.”

उन्होंने आगे कहा कि इसकी वजह से दूसरे कॉमेडियन भी इस तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं.

हाईकोर्ट में पिछले हफ़्ते भी मुनव्वर फ़ारूक़ी की ज़मानत पर सुनवाई नहीं हो पायी थी, क्योंकि पुलिस अदालत में केस डायरी ही नहीं ला पाई थी. इससे पहले पाँच जनवरी को सत्र न्यायालय ने उनकी ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी थी.

लेकिन मुनव्वर फ़ारूक़ी को ज़मानत मिलने के बाद भी उनकी मुश्किलें कम नहीं होंगी. उत्तर प्रदेश की प्रयागराज पुलिस ने काफ़ी पुराने एक मामले में प्रोडक्शन वारंट जारी किया है. पिछले सप्ताह प्रयागराज पुलिस ने प्रोडक्शन वारंट को सीजेएम कोर्ट इंदौर और इंदौर सेंट्रल जेल के अधिकारी को प्रस्तुत किया.

जानकारी के मुताबिक़, 19 अप्रैल 2020 को पेशे से वकील और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक कार्यक्रता आशुतोष मिश्रा ने मुनव्वर फ़ारूक़ी के ख़िलाफ़ एक मामला दर्ज कराया था.

इसमें उन पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाया गया था. उन पर आरोप है कि सोशल मीडिया पर मौजूद उनके एक वीडियो में हिंदू देवी-देवताओं और गोधरा ट्रेन कांड में शिकार हुये लोगों का मज़ाक़ उड़ाया गया था.

फ़ारुक़ी पर मामला दर्ज हो जाने के नौ माह तक प्रयागराज पुलिस ने कुछ भी नहीं किया. लेकिन इंदौर का मामला सामने आने के बाद प्रयागराज पुलिस हरकत में आ गई है.

यही वजह है कि उनके क़रीबियों का मानना है कि इंदौर में राहत मिलने के बाद भी फ़ारूक़ी को आगे भी उत्तर प्रदेश की जेल में वक़्त गुज़ारना पड़ेगा.

साभार : बीबीसी


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