इस्लामाबाद
परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान की इमरान खान सरकार मरने के बाद बलूचों की बेहद लोकप्रिय नेता करीमा बलूच की लाश से भी डर गई। इमरान खान सरकार ने मोबाइल सेवा को बंद कर दिया और हर तरफ भारी हथियारों से लैस अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात कर दिया। यही नहीं उसने करिमा बलूच के परिवार के सदस्यों और स्थानीय लोगों को जाने से रोक दिया। भारी सुरक्षा इंतजामों के बीच करीमा बलूच को सुपर्द-ए-खाक करने के लिए लाया गया।
इससे पहले करीमा बलूच का शव पाकिस्तान पहुंचते ही एयरपोर्ट पर सुरक्षा बलों ने उसे अपने कब्जे में ले लिया और उसे अज्ञात स्थान पर ले गए। करीमा बलूच के भाई मेहराब ने बताया कि हमारा पूरा कस्बा टंप पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के कब्जे में है। परिवार को भी बंधक बना लिया गया। मोबाइल फोन को बंद कर दिया गया। यही नहीं पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने करीमा बलूच के परिवार को शव को भी नहीं देखने दिया। सुरक्षा बलों ने रास्ते को रोक दिया जिससे वहां कोई जा नहीं सका।
करीमा बलूच की हत्या, ISI पर लगे आरोप
मेहराब ने कहा कि बहन के जिंदा रहने पर हमें डर रहता था कि पाकिस्तानी सेना उनका अपहरण कर लेगी लेकिन यह नहीं मालूम था कि सेना शव का भी अपहरण कर सकती है। बता दें कि करीमा बलूच की पिछले साल दिसंबर में हत्या कर दी गई थी। इस हत्या को लेकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी पर आरोप लगे थे।
करीमा के शव को दफनाने के लिए पाकिस्तान लाया गया था। शव एयरपोर्ट पर उतरने के बाद बलूचिस्तान जाता इससे पहले उसको सेना ने अपने कब्जे में ले लिया।
सामाजिक कार्यकर्ता नबी बख्श बलोच के मुताबिक करीमा बलोच को पाकिस्तान में जान का खतरा था और उन्होंने 2015 में कनाडा में राजनीतिक शरण मांगी थी। कनाडा में रहकर वह बलूचिस्तान के लोगों के लिए लड़ रही थीं। नबी बख्श बलोच ने कहा, ‘पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई कनाडा में उन्हें लगातार धमकी भरे संदेश भेज रही थी। वे उन्हें और उनके परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी देते थे। पाकिस्तान में उनके परिवार को निशाना बनाया गया। उनके रिश्तेदार को गिरफ्तार किया गया, उन्हें हिरासत में प्रताड़ित किया गया और गैरकानूनी रूप से फांसी दे दी गयी।’