“तुम भूल ना जाओ उनको इसलिये सूनो ये कहानी
जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी”
4 फरवरी 1922 को गोरखपुर जनपद के चौरी चौरा गांव की सीमा मे अंग्रेजी शासन के समय एक ऐसा काण्ड हुआ जिसमे शासन के विरोध और जनाक्रोश का शिकार हुए पुलिस कर्मी भी शहीद माने जाते हैं , जिन्हे अपनी कर्तव्य प्रणायता के लिये शहीद माना जाता है। आज भी वहां थाने के पास बने उनकी समाधि पर पुलिस के लोग उन्हे श्रद्धांजलि देते है।
वहीं दूसरी ओर आम जन मानस देश की आजादी के लिये जान गंवाने वाले सत्याग्रहियों को श्रद्धांजलि देकर नमन करता है। इस 4 फरवरी 2021 को हम उस काण्ड के शताब्दी वर्ष मे प्रवेश कर रहे हैं। इतिहास मे इसे ‘ काण्ड ‘ के नाम से जाना जाता है लेकिन वर्तमान सरकार इस ‘ काण्ड ‘ शब्द को बदल कर ” जनाक्रोश ” या कोई और उचित शब्द रखने के लिये प्रयासरत है। इस शताब्दी वर्ष को उत्तर प्रदेश सरकार बहुत ही व्यापक रूप से मनाने की योजना बना रही है। पूरे वर्ष बहुत से कार्यक्रम आयोजित होंगे। आइये जानते है क्या हुआ था 4 फरवरी 1922 को चौरी चौरा मे।
महात्मा गान्धी जी का असहयोग आन्दोलन आपनी चरम सीमा पर था। उस समय चौरी चौरा विदेशी कपडों की बड़ी मण्डी थी। लोग विदेशी कपड़ों , सरकारी स्कूलों आदि का बहिष्कार कर रहे थे। 4 फरवरी 1922 को हजारों क्रान्तिकारी और सत्याग्रही वहां के स्थानीय थाने के पास से जुलूस के शक्ल मे अंग्रेजी शासन के विरुद्ध नारे लगाते हुए गुजर रहे थे। वहां के तत्कालीन थानेदार ने इसे गैर कानूनी बताकर रोकने की कोशिस की और इसे अवैध घोषित कर दिया। इस बात को लेकर और कुछ और बातों के लेकर पुलिस और सत्याग्रहियों के बीच झड़प हो गयी। जवाब मे पुलिस ने हवाई फायरिंग की और जब सत्याग्रहियों पर कोई प्रभाव ना पड़ा तो पुलिस ने सीधे गोली चला दी। तीन सत्याग्रहियों की मृत्यु हो गयी ( कुछ किताबों मे 11सत्याग्रहियों की मृत्यु भी लिखा है ) और बहुत से सत्याग्रही घायल हो गये। गोली चलने के बाद आक्रोश और बढ़ गया तो पुलिस के लोग भाग कर थाने मे छिप गये। कूछ लोगों का मानना है की उनकी गोलियां भी खत्म हो गयीं थीं।
अपने साथियों की मृत्यु से दुखी और आक्रोशीत सत्याग्रहियों की भीड़ ने थाने मे आग लगा दी। थानेदार को लेकर कुल 23 पुलिसकर्मी जलकर मर गये , जिनमे लगभग सभी पुलिसकर्मी भारतीय ही थे। इस घटना से गान्धी जी बहुत आहत हुए और असहयोग आन्दोलन स्थगित कर दिया। गान्धी जी ने कहा की हिंसा के कारण यह आन्दोलन अब उपयुक्त नही रह गया है। कुछ सत्याग्रहियों को फांसी की सजा भी दी गयी और सैकडों लोगों को आरोपित भी किया गया। चौरी चौरा काण्ड के आरोपियों का मुकदमा पंडित मदन मोहन मालवीय ने लड़ा और बहुत बड़ी सफलता भी प्राप्त की।
इसी घटना के बाद स्वतंत्रता आन्दोलन मे शामिल क्रांतिकारियों का दल नरम दल और गरम दल नाम के दो घटकों मे विभाजित हो गया।
घटना के 60 वर्ष बाद 6 फरवरी को इन्दिरा गाँधी जी ने एक शहीद स्मारक का शिलान्यास किया जिसका लोकार्पण 19 जुलाई 1993 को तत्कालीन प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव जी ने किया।
(ऐतिहासिक तिथि और घटना क्रम और डाटा विभिन्न स्रोतों से संकलित किया गया है)
ब्रजेश श्रीवास्तव
Very nice attempt sir. We should look into the past in order to keep the present and future safe.
Thanks sir
Very nice sir ..
Thanks