सरस्वती वन्दना

हे मां वीणा वादिनी, तुम कष्ट हरो माता।
ज्ञान बुद्धि विद्या से, तुम हमको भरो माता।

वैसे तो निस दिन ही, हम ध्यान तुम्हे धरते,
ऋतु बसंत दिन पंचमी, विधि से पूजा हम करते,
श्वेत कमल पर आसन हो, तुम कृपा करो माता।
ज्ञान बुद्धि विद्या से, तुम हमको भरो माता।

ब्रम्हा विष्णू और महेश, सब तुम्हे पूजते हैं,
ज्ञान कला विद्या की, देवी तुम्हे मानते है,
श्वेत वस्त्र व तुषार हार है तुमको बहुत भाता।
ज्ञान बुद्धि विद्या से, तुम हमको भरो माता।

राजहंस पर हो सवार वीणा-पुस्तक हो हाथ मे,
कर के मध्य निवास तुम्हारा दया तुम्हारी साथ मे,
निस दिन कर वन्दना तुम्हारी उच्च प्रगति पाता।
ज्ञान बुद्धि विद्या से, तुम हमको भरो माता।

(ब्रजेश श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार, न्यूजलेन्स.इन)

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