दिल मेरा लिखने बैठा जब
व्याख्या हमारे रिश्तों की।
संदर्भ और प्रसंग मे तो
कुछ तुम्हे लिखा कुछ मुझे लिखा
फिर क्रम आया जब व्याख्या का
वो ठिठक गया कि लिखूं क्या।
क्या रिश्ता मेरा तुमसे है
क्या रिश्ता मुझसे है तेरा
दिल को जब कुछ पता नही
तो सच ही है वो लिखता क्या।
फिर दिल से मैने यही कहा
व्याख्या मे तुम बस प्यार लिखो।
प्यार तो बस प्यार ही है
इसका ना कोई आधार लिखो।
केवल इतना लिख कर आगे
तुम सीधा उपसंहार लिखो।
उसमे भी गर कुछ लिख न सको
उपसंहार मे भी बस प्यार लिखो।
उपसंहार मे भी बस प्यार लिखो।
( ब्रजेश श्रीवास्तव )