-चन्द्रकान्त पाराशर शिमला हिल्स
(लिमोन,कोस्टा रीका,मध्य अमरीका प्रवास )
(1)
ताड़ के पेड़
सागर-तट पर
बाट जोहते ।
(2)
आतीं लहरें
सागर की तरफ़
गगन-छोर ।
(3)
भरे बादल
कोहरे के जाल में
प्राणी-जगत ।
(4)
झूमते तृण
लहलहाते वन
बहका मन ।
(5)
भरे बादल
छूते उत्तुंग शृंग
खुश भू-देवी ।
(6)
सरका मार्ग
सरकती सड़क
थे रुके हम ।
(7)
वर्षा वन में
गगन स्पर्शी पेड़
झरते पत्ते।
(8)
श्याम बादल
बीच झांक देखता
नीला आकाश।
(9)
समुद्र-तट
बहती पुरवाई
जीने की आशा ।
(10)
लहरें उठीं
कर गठबंधन
थपकी रेत ।
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