1320 मेगावाट बक्सर ताप विद्युत परियोजना : बिहार-गौरव बनने की ओर अग्रसर

बक्सर(बिहार)

बिहार राज्य के बक्सर ज़िले के चौसा क़स्बे में ( 2×660मेगावाट)1320 मेगावाट की बक्सर ताप विद्युत परियोजना के निर्माण कार्य इन दिनों कड़ी निगरानी में द्रुत गति से प्रगामी प्रगति पर है ;यह एसजे वीएन लि० का बहुत महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है जिसे अल्‍ट्रा सुपर क्रिटिकल प्रौद्योगिकी के साथ 1320 मेगावाट (2×660 मेगावाट) एसजेवीएन थर्मल प्रा. लि. (एसजेवीएन लिमिटेड की एक पूर्ण स्‍वामित्‍व वाली अधीनस्‍थ कंपनी) द्वारा कार्यान्वि‍त किया जा रहा है।  वर्तमान में संजीव सूद बतौर मुख्य कार्यकारी अधिकारी परियोजना का संचालन कर रहे है । उनके इस पद पर रहते प्रोजेक्ट के सभी घटको (कम्पोनेंट्स) पर निर्माण कार्य ने पर्याप्त गति भी पकड़ रखी है ,यह बात निर्माण कार्यों को प्रत्यक्षतः देखने से महसूस होने लगती है ।

एसजेवीएन लिमिटेड ने बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (बीएसपीएचसीएल) और बीपीआईसी के साथ 17.01.2013 को बक्सर थर्मल पावर प्रोजेक्ट को बिल्ड, ऑपरेट, ओन, मेंटेन (बूम) आधार पर विकसित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, बाद में जुलाई 2013 में अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के माध्यम से परियोजना को संभाला। यह परियोजना पहले राज्य सरकार द्वारा एसपीवी के माध्यम से विकसित की जा रही थी।

प्रोजेक्ट हैड संजीव सूद ने बताया कि  संयंत्र में लगभग 11,000 करोड़ रुपए का निवेश शामिल है। कमीशन होने पर संयंत्र 9828 मिलियन यूनिट का विद्युत उत्‍पादन करेगा। यदि यह परियोजना समय से पूरी हो जाती है तो बिहार राज्य की साख वापस आनी शुरू हो जाएगी तथा उद्योग-जगत व जन-मानस में एक विश्वास जगेगा कि बड़ी इण्डस्ट्री को भी राज्य में कामयाबी से अपना कार्यान्वित कर सकते है ; राज्य में विद्युत की आपूर्ति भी निर्बाध अर्थात् 24 घण्टे हो जाने पर नए नए बड़े व छोटे उद्योग-धन्धे भी अपना रुख़ इस राज्य की ओर करने लगेंगे ।उन्होंने प्रोजेक्ट की विशेषताओं को रेखांकित करते सूचित किया कि यह एक पर्यावरण-मित्र परियोजना है ,ज़ीरो डिस्चार्ज प्रोजेक्ट है ,निकलने वाला हर डिस्चार्ज री-साइकिल होगा ।पर्यावरण से जुड़े हर वैश्विक-मानक को पूरा कर रही है ।

प्रसंगवश यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि इस परियोजना से उत्पन्न 85 प्रतिशत बिजली की आपूर्ति जब बिहार राज्य को की जाएगी तो बिजली की कमी वाले राज्य में बिजली आपूर्ति की स्थिति में सुधार होगा और विकास गतिविधियों और औद्योगीकरण को नया जीवन व गति मिलेगी, जो रोजगार सृजन और पूरे क्षेत्र के समग्र विकास के लिए गुणक के रूप में भी काम करेगा।
निर्माण कायों में  तेज़ी को देख कर प्रबल सम्भावना है कि यह परियोजना अपने निर्धारित समय-अवधि  से पहले ही पूर्ण हो जाएगी । प्रबंधन द्वारा आगामी वर्ष जून 2023 में संयन्त्र की प्रथम इकाई और उसके छः माह की अवधि के बाद दूसरी इकाई द्वारा विद्युत-उत्पादन किए जाने का लक्ष्य रखा गया है ।

ज्ञातव्य है कि एसजेवीएन ने ऊर्जा उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज की है, जिसमें जलविद्युत, पवन, सौर तथा ताप विद्युत शामिल है;और एसजेवीएन ने कुल स्थापित क्षमता के साझा विजन- वर्ष 2023 तक 5000 मेगावाट, वर्ष 2030 तक 12000 मेगावाट और वर्ष 2040 तक 25000 मेगावाट की परिकल्पना करके व्यवसायिक विस्तार एवं विविधीकरण के लक्ष्यों हेतु तेज़ी अपनाई है।

-चन्द्रकान्त पाराशर (वरिष्ठ मीडिया सलाहकार) शिमला हिल्स

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