बातें हुईं पुरानी
परियों की वो कहानी
कभी सुनाये नाना
कभी सुनाये नानी।
परियों की वो ….
बातें हुईं …….
क्या सुन्दर बचपन था
कितना भोलापन था।
चिंता नही कोई भी
वो भी क्या जीवन था।
कभी खेलते धूल मे
और खेलते पानी
बातें हुई पुरानी …….
कोई सिखाता हमको
देखो ये मत करना
कोई सिखाता हमको
देखो वो मत करना।
पर हम कुछ ना सुनते
करते बस मनमानी।
बातें हुईं पुरानी….
दिन थे वो बचपन के
बातें थीं बचपन की
चिंता नही थी कोई
तन मन और ना धन की।
दिन भर धमाचौकड़ी
और करते शैतानी।
बातें हुईं पुरानी…..
सही-गलत का भी तो
हमे ज्यादा ज्ञान नही था।
समझाये कोई हमको
ये भी आसान नही था।
कभी कभी तो जानबूझ कर
करते हम नादानी।
बातें हुईं पुरानी…….
( ब्रजेश श्रीवास्तव )