Texas holdem poker tells

  1. Real Bet Casino No Deposit Bonus Codes For Free Spins 2025: Dealt equations were once pretty popular, but now most rooms have moved on to other means of assigning rake to players.
  2. Brighton Casino Review And Free Chips Bonus - So while online gambling may not be specifically legal, neither is it illegal.
  3. Free Spins Bonus Sign Up Uk: If you are a fan of old-school classic pokies with only 3 or 5 paylines, then you will be happy to learn that Lady Destiny has a section dedicated to classic pokies.

What are the odds of getting 4 of a kind in poker

Online Casino That Accepts Klarna
This symbol acts as a multiplier in this game, and, to be honest, it outranks some glorified slot bonus games out there.
Betspinwin Casino No Deposit Bonus 100 Free Spins
They include the Chico Poker Network family of gaming sites.
This is certainly achievable, but it will take some time and a lot of hard work.

Blackjack odds change

Online Casino Cheat Software
The way this unfolded with Paolo, it seems like he might have had a very concentrated cup of coca tea, Hernani speculates.
No Deposit No Wager Casino Australia
However, depending on the players country, there might be an additional deposit method available, such as Neosurf.
Casino Slots Games Free

राष्ट्र-वंदन की अनूठी काव्यांजलि “भारत काव्य पीयूष” का विमोचन सम्पन्न

चन्द्रकान्त पाराशर शिमला हिल्स LOUSANNE(स्विटज़रलैंड प्रवास): 15अगस्त 2022

सर्वविदित है कि हमारा देश भारत वर्तमान में अपनी स्वाधीनता की 75वीं वर्षगाँठ पर अमृत महोत्सव मना रहा है । इस पुनीत अवसर पर भारतीय कवियों द्वारा रचित राष्ट्र-वंदन के अनूठे दस्तावेज के रूप में “भारत काव्य पीयूष“ कविता-संग्रह को 15 अगस्त की पूर्व संध्या पर आभासी ज़ूम-माध्यम से राष्ट्र के नाम समर्पित किया गया ।

यू.एस.ए. से माया बंसल द्वारा माँ सरस्वती-वन्दन से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ ।

“प्रवासी भारतवंशी अपने देश, संस्कृति व रहवासियों के प्रति सदैव आत्मिक निष्ठा के साथ जुड़ने में आत्मिक संतोष का अनुभव करते हैं; यह पुस्तक भी उसी दिशा में किया गया एक स्तुत्य प्रयास है । “वसुधैव कुटुम्बकम” की भारतीय अवधारणा भी तभी चरितार्थ होती परिलक्षित होती है जब हम सब मन, कर्म व बचन से सम्पूर्ण धरा व इसके निवासीयों को एक परिवार की तरह मान कर व्यवहार करते है। भारत काव्य पीयूष भी इस संस्थान की उक्त अवधारणा को ही पुष्ट करता हुआ प्रतीत होता है ।” -यह उदगार व्यक्त करते हुए मुख्य अतिथि श्री विनय सहस्रबुद्धे, अध्यक्ष, भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद, भारत सरकार, ने वैश्विक हिंदी संस्थान ह्यूस्टन के विभिन्न प्रकार के सदप्रयासों को भी रेखांकित किया ।

स्वाधीनता के अमृत-महोत्सव में “भारत काव्य पीयूष” पुस्तक की अवधारणा व उसे मूर्त रूप प्रदान करने में वैश्विक हिंदी संस्थान, ह्यूस्टन, अमेरिका के अध्यक्ष डा ओमप्रकाश गुप्ता व उनकी प्रबुद्ध टीम के सदप्रयासों से 8 देशों में बसे भारत के 115 मनस्वियों के हृदय-तल में मातृभूमि के प्रति हिलोरें लेती सद्भावनाओं को काव्य-रूप में सम्पादित-संकलित व प्रकाशित करने का कार्य अत्यंत सराहनीय है ।

इस संग्रह में 175 कविताओं का 11 विषयों में वर्गीकरण किया गया है: भारत का इतिहास, भारत की संस्कृति, भारत के महापुरुष, स्वतंत्रता संग्राम, भावी भारत, भारत की गरिमा, भारत की समाज व्यवस्था, प्रवासी भारतीय, मेरा भारत, भारत के आराध्य व भारत माता ।

देश-प्रेमी कवियों की लेखनी से देश व मातृभूमि के प्राचीन व अर्वाचीन दोनों के महिमा गान में समर्पित व्यष्टि से समष्टि की ओर अग्रसर सर्वक़ालिक व प्रासंगिक अनेकों कविताएँ निसृत हुईं हैं जो पाठकगणों में विशेषकर युवा-मन को भरपूर जोश व प्रेरणा से सराबोर करने में सक्षम होंगी ।

इस काव्य-संकलन में कविता की अन्य प्रचलित विधाओं के साथ-साथ एक नव-विकसित काव्य-विधा ‘ओम आकृति’ विधा भी प्रस्तुत की जा रही है। आरोह-अवरोह पर केंद्रित ये कविताएँ धनुष, हीरे, षट्कोण, अष्टकोण आदि ज्यामितिक आकृतियों का निर्माण करतीं हैं। इसमें प्रत्येक पंक्ति का स्वयं में अर्थपूर्ण होना आवश्यक है; साथ ही हर पंक्ति में एक वर्ण बढ़ता और नियत वर्ण-संख्या तक पहुँच कर प्रति पंक्ति एक वर्ण घटता चला जाता है। ‘जितना चढ़ाव उतना उतार’ इस विधा का मूलमंत्र है। इस नवीन विधा में रचित 11 कविताएँ इस संकलन में प्रकाशित की गई हैं। इस नवीनतम विधा के जनक भी डॉ ओमप्रकाश गुप्ता हैं।

कार्यक्रम का संचालन डा० आरती ’लोकेश’ ने दुबई से बहुत ही ज़िम्मेदारी से किया । पुस्तक के प्रधान संपादक ओम प्रकाश गुप्ता ने टिप्पणी करते हुए कहा कि देश की अखंडता अर्थ मात्र एक भौगोलिक सीमा नहीं है, भारत तब ही अखण्ड होगा जब सब भारतीय अपने भेद-भाव भूल कर एक होंगें। अतः देश को अखण्ड करने का काम हम सब को अपने घर से आरंभ करना है। इसके साथ ही उन्होंने सबका आभार व्यक्त किया।

इस आयोजन में उल्लेखनीय है डॉ शिवप्रकाश अग्रवाल की अहम सूत्रधार की भूमिका जिसमें इस पुस्तक सम्बन्धी सभी प्रकार के तकनीकी काम, ट्रबल-शूटिंग, मुद्रण, जन-सम्पर्क, लेखा-जोखा, ISBN से लेकर सारी कानूनी कार्यवाही का ध्यान रखना, आदि सम्मिलित है ।


आयोजन में देश दुनिया से आभासी जू़म के माध्यम से अनेक जागरूक कवि हृदय विद्वानों/श्रोताओं ने भाग लिया। संपादक मण्डल के सदस्य हरिहर झा, अलका प्रमोद, सी कामेश्वरी, मधु चतुर्वेदी, शैल अग्रवाल, मधु गोयल के अतिरिक्त नीलम झा, माया बंसल, गोपाल चतुर्वेदी, कौसर भुट्टो, जितेंद्र अग्रवाल, राम मलिक, रेखा भाटिया, नीलिमा तिग्गा, स्मिता लाधावाला, चंद्रकांत पाराशर शिमला हिल्स एवं अनेक अन्य गणमान्य महानुभावों ने अपनी भागीदारी से आयोजन को सफल बनाया।


समारोह के अंत में बृहदारण्यकोपनिषद की 1/3/28 पंक्तियों : ॐ सर्वेषाम स्वस्तिर्भवतु, सर्वेषाम शांतिर्भवतु… ॐ शान्ति शान्ति शान्ति“ मंत्रों का सस्वर वाचन किया गया ।
~<<

चन्द्रकान्त पाराशर शिमला हिल्स LOUSANNE(स्विटज़रलैंड प्रवास): 15अगस्त 2022


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *