कि पैसा बोलता है!
भारतीय क्रिकेट के सर्वनाश की शुरुआत हो चुकी है , अब ये क्लब है आप इससे देशप्रेम या देशभक्ति की उम्मीद हर्गिज मत करें । मीडिया का मुंह बीसीसीआई ने बंद कर रखा है , क्रिकेट से बड़े सुपरस्टार हो गए हैं । देवधर,रणजी खेल कर जो प्रतिभाशाली खिलाड़ी आते हैं उन सबको आईपीएल की टीमें उनकी हिटिंग और आल राउंडर की क्षमता पर खरीद लेती हैं । अपनी बेसिक क्रिकेट छोड़कर हर बल्लेबाज गेंदबाजी का हुनर सीखने लगता है और हर गेंदबाज बल्लेबाजी की हिंटिंग सीखने लगता है ,क्योंकि आइपीएल में सबको सब कुछ आना चाहिये ।
लेकिन अंतराष्ट्रीय क्रिकेट इस तरह नहीं चलता ,वहाँ अपनी विशेष मेरिट पर ही खेलना होगा ,श्रीनाथ और कुंबले बगैर बैटिंग किये 15 साल तक भारत की गेंदबाजी को बखूबी आगे लेकर बढ़े । लेकिन बल्लेबाजी दसवें नम्बर तक हिटर की तलाश आपको ले डूबेगी।
भारत में कप्तान हमेशा क्रिकेट से बड़ा रहा है और मीडिया सबसे बड़ा । इसी मीडिया ने विराट की अच्छी भली जुझारू टीम ( जो हमेशा रैंकिंग में नबंर वन रही ) उसको चौपट कर डाला । इनकी नजर में बेहतरीन कोच रवि शास्त्री एक दारूबाज से ज्यादा कभी नहीं रहा। अब लीजिये राहुल द्रविड़ को ।
ये राहुल द्रविड़ जो कभी अंतराष्ट्रीय क्रिकेट के सेमीफाइनल स्तर के मैचों में कभी कोई बड़ी पारी नहीं खेल सके , ये जिताएंगे आपको जो हमेशा नर्वस ही रहे इनको पार्टनरशिप में या तो सचिन उबारते रहे या लक्ष्मण ,सबसे ज्यादा नर्वस नाइनटी के शिकार राहुल द्रविड़ जूझना तो जानते हैं ,मगर जिताना नहीं ।
इनसे उम्मीद बेमानी है ये अच्छे तो हैं मगर विलक्षण नहीं ।
अब रोहित पर आते हैं वो बेहतरीन खेलना जानते हैं मगर कप्तान साधारण । क्लब क्रिकेट और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की कप्तानी में फर्क है ,कठिन परिस्थितियों में उन्हें कुछ नहीं सूझता । पकिस्तान की टीम को देख लो ,सब साधारण खिलाड़ी हैं मगर बतौर टीम बेहतरीन जज्बे से खेलते हैं ,रोहित टीम बनाने में नाकाम रहे , सवाल हार -जीत का नहीं है , टीम के तौर पर खेल ही नहीं रही है टीम इंडिया ।
भारतीय क्रिकेट के स्वर्ण युग की समाप्ति हो चुकी है ,भारत के पास पूरे दिन खेलने वाले ना तो बल्लेबाज हैं और ना ही कुंबले की तरह पूरे दिन गेंदबाजी करने वाले गेंदबाज ।
तो अगर आप भविष्य में भारत की आगामी 50 ओवर के वर्ल्डकप में जीत की उम्मीद लगाए बैठे हैं तो आप दिवास्वप्न देख रहे हैं ।
विराट कोहली के बाद टीम इंडिया की टेस्ट टीम वैसी ही होगी जैसे विव रिचर्ड्स के रिटायर मेन्ट के बाद वेस्टइंडीज की वन डे की टीम हो गयी थी ।
लेकिन भारत “क्रिकेट की राजधानी ” बना रहेगा क्योंकि बीसीसीआई ही सबसे अमीर बोर्ड है और ये वर्ल्ड क्रिकेट को चलाता रहेगा ।
उर्दू में जैसे मिसरा है कि
“मैंने फिराक को देखा है “
वैसे ही हमने क्रिकेट का क्लासिक देखा है और अब भारतीय क्रिकेट की स्लो मगर क्लासिक मौत भी देख रहे हैं ।
वैसे इंग्लैंड ने अपनी काउंटी क्रिकेट में सुधार करके अपनी क्रिकेट को नई ऊंचाई दी है ।
लेकिन भारत का अमीर क्रिकेट बोर्ड भारतीय क्रिकेट की मौत का तमाशा करता रहेगा क्योंकि
“पैसा बोलता है “।
दिलीप कुमार