“हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है
तब कहीं जाकर होता चमन में एक बिदनवार पैदा”
यही शेर आजकल पाकिस्तान में बच्चा बच्चा कह रहा है क्योंकि जो ऊपर वाले ने ऐसा छप्पर फाड़ कर दिया कि पाकिस्तानियों को अपनी खुशकिस्मती पर यकीन नहीं हो रहा है कि
“या इलाही ये माजरा क्या है “
पाकिस्तान जो कि बकौल खुद दुनिया का सबसे पाक मुल्क मानता है और अपनी जमीनों पर बलि बलि जाता है कि खुदा ने उसे ऐसी जमीन दी ,जिसपे नायाब फसलें उगती हैं।अब देखें ना कि खासे पढ़े लिखे माने जाने वाले इमरान खान जापान और जर्मनी की सरहद मिला बैठे अपनी तकरीर में,लगता है उनके लिये कोई सुपर नोबेल प्राइज की घोषणा करनी पड़ेगी जो दुनिया भर की सरहदों को गिरा देगा और जर्मनी तथा जापान की सरहद को मिला देगा ।वजीरे आज़म साहब अपनी बेगम के टोने -टोटके से प्राइम मिनिस्टर तो बन गए ,लेकिन नोबल पीस प्राइज के लिये उन्हें शायद बंगाली काले जादू की जरूरत पड़े ,,तो क्या एक और ,,,,अल्लाह खैर करे ।अब जरा इनकी कैबिनेट के दो सुपर मिनिस्टर्स को देखिये,,,क्या कहने इनके ।पाकिस्तान दुनिया का वाहिद मुल्क है जिसके शहरियों को ये एजाज हासिल है कि वो बिना बिजली,गैस,टमाटर के खुद को सुपर पावर मानते हैं और खुश भी रहते हैं ।आखिर खुश क्यों ना हों जब उनके पास शेख रशीद जैसा रेल मिनिस्टर हो जो रेलवे के अलावा दुनिया भर की बातें करता है और दूसरा साइंस और टेक्नोलॉजी का मिनिस्टर फवाद चौधरी हो ,जो मुल्क को “मेरी साइंस मेरी मर्जी “पर चलाने का अभियान चला रहे हैं।शेख रशीद वही हस्ती हैं जो पाकिस्तान के पाव भर के परमाणु बम के हमले की बात करके चर्चा में आये थे ।दुनिया भर की एटमी साइंटिस्ट हैरान हैं खुद अमेरिका को यकीन नहीं हो रहा है क्योंकि सबसे हल्का परमाणु बम भी उसी के पास है जो कि 23 किलो का है फिर ये पाव भर के बम का ईजाद पाकिस्तान ने कब कर लिया अब इसकी खोज जारी है ।शेख रशीद खुद को पाकिस्तान के एटमी प्रोग्राम का वालिद बताते हैं कहते हैं कि वालिद को ही पता होता है कि कौन सी औलाद पाव भर की तासीर की होती है और कौन सी किलो भर की तासीर वाली ।शुक्र है खुदा का शेख रशीद शादीशुदा नहीं हैं और वो बेऔलाद हैं वरना ना जाने क्या क्या स्यापे करते सौ और पचास ग्राम के बमों की हुदूद तक।वैसे अब वो एटम बम को स्मार्ट बम कह रहे हैं और कहते हैं कि वो इसी से हिंदुस्तान से लोहा लेंगे।वैसे वो जिससे लोहा ले लेते हैं उसका लौटाते नहीं हैं।हजरत रशीद ने बहुत बरस पहले एक बन्दे के शो रूम से नई गाड़ी खरीदी थी बाइस लाख में,आज तक बाइस पैसे ना दिए उस गाड़ी के ,जब हाथापाई हुई सड़कों पर तब ये नजारा आम दिखा ,शायद उधार की गाड़ी में ही उधार वाले पाव पाव भर के परमाणु बम छिपा रखे हों,,,अल्लाह अल्लाह ,,खैरसल्ला”
अब दूसरे फवाद चौधरी ,,,पाकिस्तान में आजकल लॉफ्टर चैलेंज के शो बन्द हो गए हैं लोग पल छिन बस ये देखते हैं कि अब फवाद चौधरी ने क्या कहा ,,बतौर साइंस और टेक्नोलॉजी मिनिस्टर उनके कुछ महत्वपूर्ण सुझाव निम्न हैं जो वहाँ की असेम्बली में उन्होंने चर्चा के लिए रखे हैं
1-अगर हम जामुन के पेड़ के नीचे गुलाब उगाये तो हमको उगे हुए गुलाबजामुन मिल जाया करेंगे ।
२-हम चप्पलों के बिना कुछ दूर तक जा सकते हैं मगर चप्पल हमारे बिना दो कदम भी नहीं चल सकती ।
3-अगर आपके मिट्टी खाते हैं तो उन्हें मिट्टी से महरूम कर दें और उन्हें सीमेंट फरहाम कराएं ताकि उनकी बुनियाद मजबूत हो सके ।
4-भैंस दुम इसलिये हिलाती है क्योंकि दुम भैंस को नहीं हिला सकती ।
5-हम पानी इसलिये पीते हैं क्योंकि हम पानी को खा नहीं सकते ।
ऑफ द रिकॉर्ड तो वो ये भी कहते हैं कि पाकिस्तान का चंद्रयान उस चाँद पर नहीं जायेगा जिस पर भारत का चाँद गया है सो वो एक अलग चाँद पर जाएंगे ये और बात है कि 2023 में चीन के राकेट में बैठकर,,क्यों नहीं भई “मेरी साइंस ,मेरी मर्ज़ी “उनका नारा है।
इमरान खान जब अपना चुनाव प्रचार कर रहे थे तो दिन रात एक ही जुमला गाते थे
“रोक सको तो रोक लो,तब्दीली आयी रे
तब्दीली आयी रे “
वाकई कितनी तब्दीली लाये इमरान खान क़ि जिस देश में लोग महानगरों में ऑटो रिक्शा के बजाय गधा गाड़ी से सफर करने लगे हों वहाँ पिछले साल उनकी सरकारी एयरलाइन्स ने 46 बार बिना मुसाफिरों के ही अपनी उड़ान को मुकम्मल किया और कितनी तब्दीली और तरक्की चाहिये उस मुल्क के बाशिंदों को ।और तो और लादेन के पाकिस्तान में मारे जाने की खबर तुरंत मीडिया में आ गयी थी ,जबकि अलकायदा के सरगना लादेन पुत्र अबु हमजा के मारे जाने की खबर उन्होंने महीनों बाद मीडिया में आने दी।अब उनकी सरकार कानून लायी है कि मीडिया में हुकूमत की छवि खराब करने वाले सहाफियों पर 90 दिन के अंदर ट्रायल करके सजा दी जायेगी ।अपने इस काम को अंजाम देने के लिए उन्होंने दो कोहिनूर चुने हैं ,,शेख रशीद और फवाद चौधरी ,,,,,बहादुर कौमें पाकिस्तान की इस फैसले पर मदमस्त गा रही हैं
“तब्दीली आयी रे ,तब्दीली आयी रे “
समाप्त ।
दिलीप कुमार