चरवाहों से प्रश्न

रुपये की घटती कीमत

बढ़ते डीजल-पेट्रोल के दाम

कोरोना और डेंगू,

मोरबी की मौतों पर

कोहराम

यूक्रेन में रूस का घात

एशिया कप में

भारत को मिली मात

बिदेन और जेलेंसकी की बातें

युद्धक साइरन की भयावह रातें

हिंदुस्तान में

हिजाब के लिए लड़ाई

ईरान में इसके विरोध में

कूटम-कुटाई

पाकिस्तान में प्रजातन्त्र नहीं है

कुछ कहते हैं

भारत में भी नहीं है

श्री लंका में हाहाकार

लाशों से जूझता म्यांमार

बांग्लादेश में चरम पंथियों पर चिंता

नेपाल का भारत विरोधी रुख

हर तरफ दुख ही दुख

आसमान पर जाते

सिलिन्डर के दाम

उतने ही भव्य होते भगवन राम

रोजी-रोटी का संघर्ष

हर क्षण, हर वर्ष

अपवर्ण-सवर्ण में रार

अहीर-बाभन-ठाकुर में खार

हिन्दू-मुसलमान

हिन्दू-क्रिस्तान

बेटी पढ़ाओ

बलात्कार करवाओ

भारत जोड़ो के जुमले

प्रधान मंत्री पर हमले

न्यायिक व्यवस्था

पुलिस की अव्यवस्था

प्रशासन का रवइया

सोया हुआ सुनवइया

तिशनगी ही तिशनगी

जाने किसे तलाशती ज़िंदगी

पूरे संसार में

बुरहान है

यहाँ हर कोने में

हर कोई परेशान है

और ये भी क्या है कम

तुमसे न मिलने का गम

ऐसी बहुत सी

कही, अनकही बातें

सब के मध्य है कड़ी

ये आपस में हैं जुड़ी

सब में दुख है घना

सब में बंधी हुई है वेदना

मेरी समस्या

मेरी वेदना

तुम्हारी वेदना से भिन्न है

हमारी वेदना

समाज की वेदना से भिन्न है

समाज की वेदना

देश की वेदना से भिन्न है

देश की वेदना

अन्य देशों की वेदना से भिन्न है

कुल मिलाकर,

सब वेदना से ग्रस्त हैं

यही तथ्य अ-भिन्न है

इन्हीं समस्याओं से बचाने के लिए

इंसान ने शायद

यत्न किया था

और चरवाहों ने

अलग-अलग समय और स्थानों पर

ईश्वर को गढ़ने का

प्रयत्न किया था

चरवाहों को कटघरे में लाएँ

हमारी वेदना का वही

निदान बताएं….

अन्यथा,

क्यों न

वे माटी में दफना दिये जाएँ?

सुधेन्दु ओझा

9868108713/7701960982

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »