हैरान है, परेशान है

हैरान है, परेशान है

आम आदमी

आखिर तो, इंसान है

आम आदमी

रोटियाँ डाल कर

ईमान को खरीद लें

दुम हिलाता, श्वान है

आम आदमी

कहीं से जोड़िए इसे

कहीं से तोड़िए

किराये का, मकान है

आम आदमी

दिल-वफा, मोहब्बत,

और शफ़्फ़ाक बदन

तवायफ की, दूकान है

आम आदमी

जाने क्यों चेहरे पे

मुस्कान है बाकी

फकत मुर्दा, बे-जान है

आम आदमी

सियासत का जरिया है,

और कुछ नहीं

भूला हुआ मत-दान है

आम आदमी

कम ही है जो वो,

सिखाये में ना करे

खूँ से सना, हैवान है

आम आदमी

अपनी पे आजाए, तो

पाक है इतना

बाइबल-गीता, कुरान है

आम आदमी

दर्द कितने हैं, उसमें

झांक के तो देख

एक दहकता, मसान है

आम आदमी

सुधेन्दु ओझा

9868108713/7701960982

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