उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी एक समस्या का निस्तारण करने का प्रयास करते हैं तो दूसरी समस्या उनके सामने मुंह बाए खड़ी हो जाती है।
न्याय और कानून व्यवस्था में अपेक्षाकृत सुधार के बावजूद बिजली वितरण एक ऐसी गंभीर समस्या है जो हर साल गर्मी के दौरान विकराल हो उठती है।
ऐसा इस वर्ष भी हो रहा है। सूचनाओं के अनुसार इस समय पूरा उत्तर प्रदेश भयानक बिजली संकट के दौर से गुजर रहा है। मुख्यमंत्री महोदय के भरसक प्रयास के बावजूद प्रदेश का कोई भाग ऐसा नहीं है जहां 24 घंटे बिजली आपूरित हो रही हो (लखनऊ को छोड़ कर)।
शहरों में बिजली औसतन 16-17 घंटे बिजली आ रही है तो बेबस ग्रामीण इलाके 8 से 10 घंटे ही बिजली पा रहे हैं। ट्रांसफार्मर फुंकने के साथ साथ लो वोल्टेज बिजली एक और गंभीर समस्या बनी हुई है।
इसी क्रम में अयोध्या में मुख्यमंत्री के आदेश के बाद अधिकारियों ने व्यवस्था सुधारने का प्रयास किया। शहर की बिजली आपूर्ति में रविवार को सुधार देखा गया।
उत्तर प्रदेश के हर शहर में बिजली व्यवस्था का बहुत बुरा हाल है। शहर से लेकर गांव तक बिजली नदारद्द है। कहीं पानी का संकट है तो कहीं आटा चक्की से लेकर अन्य लघु उद्योग ठप हो गए हैं। ग्रामीण इलाके में जहां 18 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा किया जा रहा है, वहां बमुश्किल आठ से 10 घंटे बिजली मिल रही है। उस पर भी, प्रशासन लो वोल्टेज बिजली की सप्लाई कर के अपने रिकॉर्ड को ठीक करने में जुटा हुआ है। अवध के अधिकतर जिलों में बिजली आपूर्ति को लेकर हाहाकार मचा है। ओवर लोडिंग से शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों की व्यवस्था पटरी से उतर गई है। उपभोक्ताओं को बार- बार ट्रिपिंग की समस्या से जूझना पड़ रहा है। सुल्तानपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में छह से आठ व शहरी क्षेत्र में 15 से 20 घंटे आपूर्ति मिल पा रही है। शनिवार की रात केएनआई उपकेंद्र बंद हो गया। भदोहीं, गोपीगंज, प्रतापगढ़, जौनपुर सभी जिलों में यह स्थिति आम बनी हुई है। उपभोक्ताओं के पंखे, फ्रिज, कूलर कुछ नहीं काम कर रहे। एसी की तो कल्पना ही छोड़ दीजिए। अमेठी जिला मुख्यालय पर 15 से 18 घंटे ही आपूर्ति मिल रही है। बहराइच के ग्रामीण इलाके में चार से 12 घंटे की आपूर्ति मिल रही है। बिजली की मांग बढ़ी है, जिसके चलते ट्रिपिंग की समस्या हो रही है। बाराबंकी में शनिवार की शाम से रविवार की शाम 5:00 बजे तक 500 से अधिक गांवों में 6 से 8 घंटे ही बिजली मिली। शहर में इस 24 घंटे के दौरान करीब 18 बार बिजली गई। 3 से 4 घंटे की कटौती हुई। सीतापुर मे अघोषित कटौती, ट्रिपिंग और लो-वोल्टेज की समस्या से आम जनमानस परेशान रहे। यहां शहरी इलाके में 14 तो ग्रामीण इलाके में 10 घंटे बिजली मिल रही है। रायबरेली में जिले में अधाधुंध बिजली कटौती से शेड्यूल धड़ाम हो गया है। अंबेडकरनगर में 10 से 11 घंटे की बिजली मिल पा रही है। गोरखपुर मंडल के सभी जिलों में औसत बिजली आपूर्ति 18.19 घंटे चल रही है। इसमें गोरखपुर में 20.29 घंटे, महाराजगंज में 17.48 घंटे, देवरिया में 17.32 घंटे और कुशीनगर में 17.28 घंटे आपूर्ति दी जा रही है। मुख्य अभियंता आशु कालिया के मुताबिक ओवरलोड और फाल्ट से कहीं आपूर्ति की दिक्कत रही है तो इसे प्राथमिकता से सही करवाया जा रहा है। सूरजकुंड में भूमिगत केबल फाल्ट से 16 घंटे आपूर्ति बंद थी। ओवरलोड की समस्या को सही करने के लिए दो बिजली उपकेंद्रों में ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसी तरह प्रयागराज क्षेत्र में शहर में 17-18 घंटे, तहसील और नगर पंचायत में 13-14 घंटे और ग्रामीण क्षेत्र में 8-9 घंटे बिजली मिल रही है। शहर में अघोषित बिजली कटौती के साथ ही ट्रिपिंग की समस्या लगातार बनी हुई है। भीषण गर्मी में लगभग छह सौ मेगावाट की मांग है, जबकि करीब 450 मेगावाट बिजली आपूर्ति हो रही है।
ऐसा जानकारी में आया है कि, अयोध्या में मुख्यमंत्री के आदेश के बाद अधिकारियों ने व्यवस्था सुधारने का प्रयास किया। शहर की बिजली आपूर्ति में रविवार को सुधार देखा गया। अयोध्या शहर में 23 घंटे से अधिक और ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 16 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है।
राज्य की पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम हो या फिर, पूर्वांचल अथवा दक्षिणांचल इकाई कमोवेश एक जैसी स्थिति है। इन निगमों के जुड़े जिलों में बिजली का बुरा हाल है। बुलंदशहर जिला मुख्यालय पर करीब 20 घंटे और अन्य स्थानों पर आठ से 10 घंटे बिजली मिल रही है।ओवरलोडिंग के कारण फुंकने वाले ट्रांसफार्मर को बदलने में बिजली निगम के अधिकारी व कर्मचारी लापरवाही कर रहे हैं, जिसके चलते लोगों को बिजली कटौती से परेशान होना पड़ रहा है। हापुड़ में एक तो रोस्टर के अनुसार बिजली मिलती नहीं है, जब बिजली आती भी है तो लो वोल्टेड की समस्या बनी रहती है। गाजियाबाद में शहरी क्षेत्र में 19 से 20 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 12 से 14 घंटे ही आपूर्ति हो रही है।
रूहेलखंड क्षेत्र में बिजली की व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। अफसरों के दावे के बाद भी बमुश्किल 12 से 14 घंटे बिजली मिल रही है। बरेली मुख्यालय को 20 तो ग्रामीण क्षेत्र को 10-12 घंटे ही बिजली मिल रही है। बदायूं में औद्योगिक क्षेत्र में भी दो से तीन घंटे की कटौती से जूझना पड़ रहा है। शाहजहांपुर, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, में ग्रामीण इलाके में औसतन 12 से 13 घंटे बिजली मिल रही है।
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में रोस्टर के अनुसार बिजली नहीं मिल रही। ग्राीण इलाके को 18 घंटे के बजाय 15 से 16 घंटे बिजली मिल रही है।औद्योगिक क्षेत्र के लिए अलग फीडर हैं। जहां 24 घंटे का रोस्टर है। बिजली आपूर्ति 23 से 23.30 घंटे तक हो रही है। डीवीवीएनएल निदेशक तकनीकी बीएम शर्मा का कहना है कि बिजली की कमी नहीं है। रोस्टर से 30 से 45 मिनट तक अंतर हो सकता है, जिसकी वजह ब्रेक डाउन व फॉल्ट हैं। मथुरा में शहरी क्षेत्र में छह से सात घंटे की कटौती की जा रही है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में आठ से 10 घंटे की कटौती हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में कम वोल्टेज की समस्या से भी ग्रामीणों को दो-चार होना पड़ रहा है। अधीक्षक अभियंता (नगरीय) मनोज कुमार ने बताया कि लगातार डिमांड बढ़ रही है। शहरी क्षेत्र के लगभग सभी फीडर ओवरलोड हैं। इससे फाल्ट न हो इसके कारण कुछ देर के लिए विद्युत आपूर्ति बंद की जाती है, ताकि फीडर में फाल्ट न हो। जर्जर तारों के कारण फाल्ट हो जाते हैं। यही हाल फिरोजाबाद, मैनपुरी आदि जिले का भी है। अधीक्षण अभियंता विद्युत रवि प्रताप ने बताया कि शहर में 24 घंटे के सापेक्ष 22.30 घंटे ही बिजली आपूर्ति हो पा रही है।
यही स्थिति कानपुर मण्डल की भी है। कानपुर क्षेत्र में कागज में रोस्टर के अनुसार बिजली देने का दावा किय जा रहा है, लेकिन हकीकत में पांच से सात घंटे की कटौती चल रही है। फर्रुखाबाद शहर में 23.30 घंटे, तहसील स्तर पर 20.15 घंटे और ग्रामीण क्षेत्र में 17.15 घंटे बिजली दी जा रही है। कानपुर में ग्रामीण क्षेत्र के कई फीडरों पर तो 10 से 13 घंटे ही बिजली मिल पा रही। जर्जर तार, तेज हवा से फाल्ट व ओवरलोडिंग की वजह से ट्रिपिंग बढ़ गई है। इटावा में शहरी क्षेत्र में 20 और ग्रामीण क्षएत्र में 10 घंटे बिजली आपूर्ति हो रही है। औरैया में 14 घंटे आपूर्ति मिल रही है। औद्योगिक क्षेत्र एनटीपीसी दिबियापुर का फीडर अलग से होने के कारण वहां बिजली पर्याप्त मिल रही है। भीषण गर्मी के कारण लोड बढ़ा हुआ चल रहा है, जिससे ट्रांसफार्मर अधिक लोड के कारण खराब हो रहे हैं, उन्हें बदलवाने में लगभग दो घंटे का समय लग जाता है। कन्नौज में कटौती जारी है। बमुश्किल 15 घंटे की सप्लाई हो रही है। ग्रामीण क्षेत्र में लगातार 10 घंटे की सप्लाई नहीं हो पा रही है। उन्नाव में 24 घंटे में मात्र 10-12 घंटे ही आपूर्ति दी जा सकी। अधीक्षण अभियंता विवेक अग्रवाल का कहना है कि लोकल फाल्टों होने की मरम्मत के कारण शटडाउन लेने से निर्धारित घंटों में बिजली आपूर्ति नहीं हो पा रही है। हरदोई में ग्रामीण इलाके में 018 के स्थान पर 12 से 14 घंटे बिजली मिल रही है। अधिशासी अभियंता रविंद्र कुमार डोलका ने बताया कि शेड्यूल के अनुसार आपूर्ति हो रही है, लोकल फाल्ट के कारण समस्या आ रहीं हैं। उनको दूर कराया जा रहा है। इसी तरह बुंदेलखंड के बांदा, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट में अधिकांश फीडर हर घंटे में चार-पांच बार ट्रिप हो रहे हैं। ऐसे में कई घंटे बिजली गायब रहती है। दावा किया जा रहा है कि, झांसी में बिजली कटौती कम ही की जा रही है। फाल्ट आने पर एक से दो घंटे तक बिजली काटी जा रही है। वास्तविकता इन सरकारी दावों से कोसों दूर है….
कोशिश करें और फेसबुक पर इस समस्या को लिखें तो शायद प्रशासन इस तरफ भी सक्रिय हो……
सादर,