20जुलाई 2023/नई दिल्ली :
फ्रिजाइल एक्स सिंड्रोम एक आनुवंशिक विकार है जो बच्चों में ऑटिज्म और बौद्धिक अशक्तता यानी एक मानसिक रोग की वजह बनती है. ये जीन में बदलाव के कारण होनेवाली बच्चों में मानसिक खराबी है।इस बीमारी के प्रति समाज में जागरूकता की बहुत कमी है ।समाज व आम जन की भागीदारी को सुनिश्चित कर उसे जागरूक करने की दिशा में निरंतर प्रयासरत वर्ष 2003 में स्थापित ग़ैर सरकारी संस्था “फ्रिजाइल एक्स सोसाइटी इंडिया”अपनी मुहिम को इस वर्ष देश की राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर “फ्रिजाइल एक्स जागरूकता अभियान “कार्यक्रम द्वारा डा० वी सी रॉय अवार्ड-अलंकृत डा० अनुपम सचदेव, निदेशक इंस्टीट्यूट ऑफ़ चाइल्ड हेल्थ, गंगाराम हॉस्पिटल नई दिल्ली;एम्स के पैड्रिएटिक्स विभाग की अध्यक्षा डा० मधुलिका कावरा; रोटरी क्लब दिल्ली के प्रेसिडेंट मि0 प्रदीप जैन; ऐटेक आयुर्वेद गुड़गाँव के संस्थापक-निदेशक डा०राहुल सिसोदिया के सानिध्य में दिनांक 22जुलाई को एक दिशा प्रदान करने जा रही है ।इस अवसर पर देश विदेश के कई चुनिंदा व्यक्तित्व,कलाकार, राजनीतिज्ञ,विषय के मर्मज्ञ इस मुहिम को आगे बढ़ाने का प्रयास अपनी गरिमामय उपस्थिति व विचारों से करेंगे ।
उल्लेखनीय है कि यह संस्था प्रत्येक वर्ष 22जुलाई को “ फ्रिजाइल एक्स सिंड्रोम जागरूकता दिवस” के रूप में आयोजित करती है ।
फ्रिजाइल एक्स सिंड्रोम या (एफएक्सएस) एक आनुवंशिक स्थिति है जो ऑटिज्म और बौद्धिक अक्षमता के रूप में शिशु को विरासत में मिलती है ।यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक गंभीर रूप से प्रभावित करता है। इसे मार्टिन-बेल सिंड्रोम या एस्कैलेंट सिंड्रोम भी कहा जाता है इस सिंड्रोम से महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं। रोग-ग्रसित महिलाएं बिना किसी कठिनाई के पढ़-लिख सकती हैं और निर्देशों का पालन भी कर सकती हैं। महिलाओं में मुश्किलें कम होती हैं जैसे इन्हें ज़्यादातर मात्र गणितीय-आकलन करने व सामाजिक-स्किल(आपसी मेल-जोल)में ; लेकिन पुरुषों को बहुत अधिक मुश्किलें होती है ..उनका संपूर्ण विकास ही अवरुद्ध सा हो जाता है जैसे -चलना,उठना,बैठना, दौड़ना, पढ़ाई करना आदि प्रत्येक गतिविधि करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
जहां एक ओर मां में एफएमआर1 जीन के परिवर्तन के कारण उनके बच्चों में एफएक्सएस का खतरा 50 फीसदी तक बढ़ जाता है।
वहीं अगर इस जीन में परिवर्तन की समस्या पिता में है तो एफएक्सएस का खतरा सिर्फ बेटियों को होता है। इसके अलावा लड़कियों की तुलना में लड़कों को एफएक्सएस होने का खतरा अधिक होता है।
विशेषज्ञों का मत है कि इसके पीछे का कारण लड़कियों में दो एक्स गुणसूत्रों का होना होता है।
यही कारण है यदि उनके एक एक्स गुणसूत्र में जीन परिवर्तन होता है फिर भी दूसरा एक्स गुणसूत्र सुरक्षित रहता है।
विश्व फ्रिजाइल एक्स सिंड्रोम जागरूकता दिवस के समर्थन में दुनिया भर में लगभग 300 स्मारकों और स्थलों पर रोशनी की जाती है।
वैश्विक जागरूकता की दिशा में भारत इस आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शुरू से ही रहा है, लेकिन 2019 के बाद से सक्रिय रूप से भवनों/संरचनाओं पर “रोशनी-मिशन”में उस समय शामिल हो गया, जब मुंबई में ताजमहल टॉवर इस मिशन का समर्थन करने के लिए चैती हरे रंग में खड़ा था। 2021 में भारत में 22 संरचनाओं को रोशन करने के साथ ही रोशनी-जागरूकता में तेजी से वृद्धि हुई।” भारत में हमें आईनॉक्स और पीवीआर जैसी अग्रणी सिनेमा,आवासीय भवनों, स्कूलों, क्लबों और कई अन्य संरचनाओं से भी समर्थन प्राप्त है।”ऐसा इस मुहिम के संचालनकर्ताओं का विश्वास है ।
भारत में, लगभग 4,00,000 व्यक्ति Fragile X Syndrome से प्रभावित हैं। इस आंदोलन के माध्यम से, दुनिया भर में जागरूकता फैलाने का प्रयास बहुत ही सराहनीय है ।इससे फ्रिजाइल एक्स सिंड्रोम वाले प्रत्येक व्यक्ति विशेष को शीघ्र चिकित्सकीय निदान और उपचार मिलने में आसानी होगी । ज्ञातव्य है कि इस दिन रोशनी से नहाए/सराबोर सभी भवन जागरूकता की ओर पहला कदम है।
एक बार फिर जब भारत इस वर्ष 22 जुलाई को रोशन हो, तो सभी गर्व करें और कहें “हम फ्रैजाइल एक्स जागरूकता का समर्थन करते हैं”
चन्द्रकान्त पाराशर, शिमला हिल्स