संस्कृति और संस्कारों से संपन्न है हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी : डा. उमा सिंह

गोण्डा। हिंदी दिवस के उपरांत पूरा भारतवर्ष अपनी राष्ट्र भाषा के सम्मान में हिन्दी पखवारा मना रहा है इसी क्रम में गोंडा के सिविल लाइन स्थित एक होटल में वैश्विक हिन्दी के स्वरूप पर परिचर्चा व काव्य गोष्ठी का आयोजन रविवार दिनांक 24 सितंबर की सायं महिला विमर्श के क्षेत्र में चर्चित साहित्यकार व कवयित्री डा. उमा सिंह के संयोजन में किया गया।

साहित्य भूषण से सम्मानित कवि शिवाकांत मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित परिचर्चा व गोष्ठी का वाणी वंदना से शुभारंभ करते हुए परिचर्चा में विचार व्यक्त करते हुए डा. उमा सिंह ने कहा कि हिन्दी अपनी गौरवशाली संस्कृति व समृद्ध शब्द भाव संपदा के कारण विश्व भाषा के पद पर प्रतिष्ठित हुई है। भारत की सभी क्षेत्रीय भाषाएं इससे ऊर्जा ग्रहण करती हैं। चर्चित ओज कवि शिवाकांत मिश्र ‘विद्रोही’ ने गोष्ठी में हिन्दी का नमन करते हुए पढा- भरत भूमि की मातृभाषा जो अपनी हिन्दी है, यही अवध – सरयू काशी- गंगा मथुरा- कालिन्दी है। वरिष्ठ कवि सुरेन्द्र बहादुर सिंह ‘झंझट’ ने नए अपना भाव पुष्प अर्पित करते हुए कहा कि भारतवर्ष की पहचान है हिन्दी गरिमा गौरव हिन्दुस्तान है हिन्दी। काव्य गोष्ठी में कवयित्री ज्योतिमा शुक्ला ‘रश्मि’, हरीराम शुक्ल ‘प्रजागर’, अवधेश कुमार सिंह, ब्रजेश श्रीवास्तव, मनीष सिंह , प्रेम गोंडवी , चंदन तिवारी , संदीप सोनी सहित अन्य कवियों ने हिन्दी का गुणगान कर उपस्थित श्रोताओं को मुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन अवधेश कुमार सिंह ने किया।

( ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव )

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