कहानी, कविता, ग़ज़ल, नाटक, दोहावली, गीत, लेख, निबंध को एक सुदृढ़ धरातल प्रदान कर उसे प्रचुर समृद्धि के व्योम पर मुक्त विचरण हेतु व्यवस्था-प्रक्रिया में सम्मिलित होने का सुअवसर देने…
Day: July 21, 2024
ग़ज़ल
अपना नहीं समझना गगन, बेचना नहीं सरहद नहीं बनाना, पवन बेचना नहीं होगी ख़लिश मगर यहाँ दुश्मन नहीं कोई तो भूलकर भी तुम ये वतन बेचना नहीं दीवारो-दर से रिश्ता…