{ एक निबंध ” भाग ” पर }
बचपन में हम जब भी कभी सुनते थे कि फलाने की लड़की राधा फलाने के लड़के किशन के साथ ” भाग ” गई और दोनों घरों के बाप भाई उन दोनों को पकड़ने के लिए उनके पीछे ” भागे ” हैं तो हमारी समझ में यह नहीं आता था कि काहे से ” भागे ” हैं पैदल ” भागे ” होंगे तो कबतक भागेंगे जल्दी पकड़ लिए जाएंगे पर इधर एक बहुत बड़ी दिक्कत यह है कि दोनों के बाप तो बूढ़े हैं वो तो जल्दी थक जाएंगे फिर ” भाग नहीं पाएंगे तो कैसे पकड़ पाएंगे हाँ भाई तो तेज ” भाग ” लेंगे वो शायद पकड़ पाएं पर पकड़ कर करेंगे क्या ? घर की औरतें रो रो कर आँगन को आंसुओं से भर रही हैं आस पड़ोस की औरतें गालियां दे रही होतीं हैं ” ज़वानी फ़टी पड़ रही थी जो माँ बाप की नाक कटा कर ” भाग ” गई ये भी नहीं सोचा कि छोटी बहन की शादी कैसे होगी छोटी बहन सोच रही होती है कि रमेश से कह दे कि जल्दी मत करना ” भागूंगी ” तो तुम्हारे ही साथ पर जिज्जी के ” भागने ” मामला थोड़ा ठंडा पड़ जाए
हम तो बचपन से ही
कृष्ण लीला देख रहे हैं वहाँ तो राधा खुलेआम किशन के साथ इधर उधर जमुना किनारे घूमती है ” भागती ” है पर कोई कुछ नहीं कहता था बल्कि उन्हें आजतक पूज रहे हैं बल्कि किशन से पहले राधा का नाम लेते हैं और नारे लगाते हैं ” जय राधा किशन ” की और घर की राधा ” भाग ” गई और वो भी किसी और के साथ नहीं किशन के साथ ही तो आफत आ गई सुन रहे हैं कि बड़ा भाई कह रहा है कि दोनों को जान से मार देंगे अब
हमारी समझ में यह भी नहीं आ रहा है कि जान से कैसे मार देंगे क्या मारने का कोई और भी तरीका भी है जो मर भी जाएं और जान भी बच जाए अरे भाई मारोगे तो जान तो जाएगी ही
फिर ” भागना ” कोई अपराध है हमने तो सुना है कि जब कोई कैदी जेल की दीबार तोड़ कर ” भाग ” जाता है तब पुलिस उसे पकड़ने ” भागती ” है तो क्या फलाने की राधा और फलाने का किशन अपने अपने घरों की दीबार क्या तोड़ कर ” भागे ” हैं हमने तो यहाँ तक सुना है कि चोर चोरी करके ” भागते ” हैं तब पुलिस उन्हें पकड़ने के लिए ” भागती ” है तो क्या ये लोग कुछ चुरा कर ” भागे ” हैं और क्या इन दोनों के भाई पुलिस में भर्ती हो गए हैं जो पकड़ने के लिए पीछे
” भाग ” रहे हैं
हमने तो टेलीविजन पर देखा है कि पीटी उषा सबसे तेज ” भागती ” है पर उसे तो बहुत पुरस्कार मिलते हैं पर ये दोनों बिचारे तो पूरी दम से ” भाग ° रहे हैं तो इन्हें पुरस्कार इन्हें पुरस्कार के बदले पकड़ कर दण्ड देने की बात क्यों की जा रही है
बहरहाल एक और बात है जो दिमाग से परे है कि कभी कभी ये ” भाग ” फूट भी जाते हैं जैसे आज ही जो लड़की भागी है उसकी माँ रो रो कर बार बार कह रही थीं कि हमारे तो ” भाग ” ही फूट गए हैं अब ” भागी ” लड़की है तो ” भाग ” इनके कैसे फूट गए चलो फूट
भइया एक और बात नई पता चली कि ” भाग ” फूटते ही नहीं जग भी जाते हैं आज गाँव में एक बुढ़िया अपने दरवाजे पर बैठे कह रही थी कि आज तो हमारे ” भाग ” जग गए कि कल की खोई हमारी भैंस आज मिल गई बता तो डोकरी माई भैंस मिलने से ” भाग ” कैसे जग गई क्या ” भाग ” सो रहे थे जो जग गए
जग गए होंगे क्योंकि हमारे यहाँ तो देवता भी सो जाते हैं जो देवोउष्ठान के दिन सोए हुए
देवता जगते जिसको ग्रामीण इलाकों में देवठान कहते हैं चलिए अब फिर टॉपिक पर आते हैं
भागगए होंगे पर लड़के का बाप कह रहा था कि मेरे लड़के को कुछ हुआ तो सालों को ” भगा ” भगा ” मारूंगा अब फिर दिमाग फिर रहा है कि अरे भाई ” भगा ” ” भगा ” कर मारोगे तो उन्हें ” भागने ” दो न
इधर लड़की का बाबा कह रहा था कि आने दो हरामखोर को घर के नहीं घुसने दूँगा ” भगा ” देंगे अरे पागल जब ” भगा ” ही दोगे तो पकड़वा क्यों रहे हो ” भाग ” जाने दो न
कभी कभी यह भी सुनने को मिलता है कि उस पिक्चर हॉल में में ” भागम ” ” भाग ” मच गई जब ऐसे स्थान पर ” भागम ” भाग ” मच सकती है तो घर से ” भागने ” में क्या दिक्कत आ गई
हमें अपने बचपन की एक घटना याद आ गई उन दिनों हम फिरोजाबाद में रहते थे हमारे मकान मालिक के पुत्र बहुत ही शरारती थे हम कक्षा 7 में पढ़ते थे उनके पुत्र जिनको हम मुन्ना भाई साहब कहते थे
जन्माष्टमी का दिन था मंदिर सजे हुए थे सुबह सुबह ही उन्होंने हमसे पूछा ” भाग ” लोगे ?
हमने यह सोच कर कि ये हमें किसी झांकी में किसी रूप में सजवा कर झांकी में बैठालना चाह रहे हैं तो हमने कहा क्यों नहीं ?
बचपन में हमारी अम्मा हमें कन्हैया कह कर बुलाती थीं हम लगते भी कन्हैया जैसे ही थे सुंदर सलौना सावँला रंग
तो हमने सोचा कि आज मुन्ना भाई साहब हमें किसी झाँकी में कन्हैया जी का ” भाग ” दिलवा देने की बात कर रहे हैं
रात के 12 बज चुके थे हम लोग द्वारिकाधीश के मंदिर में पहुंचे तो आरती हो चुकी थी आरती का थाल जनता में घुमाया जा रहा था लोग थाल में रुपये डाल कर आरती ले रहे थे जैसे ही थाल मुन्ना भाई साहब के सामने आया भाई साहब ने आरती लेने के लिए दोनों हाथ आगे बढ़ाए और उन्होंने दोनों हाथों से थाल में पड़े सारे रुपये हाथों में भर लिए और हमसे बोले ” भाग ” अब तो सब लोग “भागे” उन्हें पकड़ने के लिए हम भी भागे भीड़ हमारे पीछे हम आगे आगे हम एक नाली में गिर पड़े लोगों ने हमें पकड़ लिया और मारने लगे हम रोने लगे ” हमने क्या किया है हमने क्या किया है ” तो लोगों ने कहा क्यों ” भाग ” रहे हो
हमने कहा कि सब ” भाग ” रहे हैं तो हम भी ” भाग ” ने लगे
लोगों ने हमें छोड़ दिया हम रोते पीटते घर आए मुन्ना भाई साहब रात भर नहीं आए दोपहर में आए हमने पूछा ये क्या किया तो बोले ” हमने तुमसे पहले ही पूछ तो लिया कि ” भाग ” लोगे तो तुमने कहा था ” क्यों नहीं ” ?
अब हमारी समझ में
आया कि ” भाग ” का एक मतलब यह भी होता है
सुरेन्द्र सुकुमार