जीवन ग़ज़ल सी सबकी धीमी कर गया
सुना है अब कोरोना मर गया।
आत्मीयता और रिश्ते सभी के खो गए
कोरोना परिचय सभी का दे गया।
मर गये कई लोग जग में भूख से
प्रेम भी अपनी कहानी कह गया।
संवेदना का आवरण,जो मनुज की पहचान था
वेदना देकर सभी को छल गया।
शिक्षा सभी को ही मिली है कुछ ना कुछ
सब छीन करके भी भला वह कर गया।
जीवन ग़ज़ल सी सबकी धीमी कर गया
सुना है अब कोरोना मर गया।
अनिल कुमार मिश्र