आस्माँ मिल गया है जमीं रह गई
जिन्दगी मे तुम्हारी कमी रह गई।
अश्क सारे हमारे खतम हो गये
बस आंखों मे थोडी नमी रह गई।
तुम गये जिन्दगी से तो ऐसा लगा
धडकने भी थमी की थमी रह गईं।
मैने चाही नही थी मगर दूरियां
दरमियां तेरे मेरे बनी रह गई।
तुम मिले भी नही और जुदा हो गये।
मेरी किस्मत की मुझसे ठनी रह गई
( ब्रजेश श्रीवास्तव )