हमारे बारे में

परिभाषा बताती है कि चारों दिशाओं में घटनाओं की सूचना को समाचार या NEWS कहा जाता है। इन घटनाओं को संकलित कर जन मानस तक पहुंचाने के कार्य को पत्रकारिता कहा गया है।
न्यूज़ की शास्त्रीय परिभाषा अंग्रेज़ी के पांच डब्ल्यू (W) पर केंद्रित है। Who, What, When, Where और Why, सारा समाचार इन्हीं बिंदुओं को अपने में समेटे होता है। इनमें किसी भी एक बिंदु का अभाव समाचार नहीं कहा जा सकता।
यह भी सच है कि मनुष्य की जिज्ञासा बहुत प्रबल होती है। यही कारण है कि समाचारों का विश्लेषण किया जाता है और अनुभवी विशेषज्ञ उन समाचारों के आधार पर मत या ओपीनियन का निर्माण करते हैं। किसी भी समाचारपत्र का संपादकीय पृष्ठ सामान्य रूप से ओपीनियन को ही समर्पित होता है।
इधर विश्व जैसे-जैसे वैचारिक वर्गों में बंटा है वैसे-वैसे समाचार के प्रेषण में उन वैचारिक दृष्टिकोणों का मिश्रण होना प्रारम्भ होगया। यही कारण है कि आज समाचार के नाम पर पूंजीवादी, साम्यवादी, समाजवादी, अराजकतावादी, दक्षिणपंथी, वामपंथी तरह-तरह की परिभाषा लिए समाचार समूह सक्रिय हैं जो अपने हित केलिए समाचार में अपना ओपीनियन मिश्रित कर उसे समाचार के रूप में प्रस्तुत करते हैं। ऐसा करने के पीछे उनका आशय होता है पाठकों में अपनी विचारधारा का प्रचार और प्रभाव बढ़ाना।
प्रजातांत्रिक प्रक्रिया ने भी समाचार की अवधारणा को प्रभावित किया है।
सत्ता प्राप्ति केलिए संघर्ष करते राजनैतिक समूह समाचारों/समाचारपत्रों का उपयोग भी अपने समर्थकों की संख्या बढ़ाने में करने लगे। कमोबेश यह बात समाज के हर तबके पर लागू होती है।
समाचारों के अपने-अपने हित में इंटरप्रेटेशन से इन समूहों ने समाचारों को बहुत नुकसान पहुंचाया है।
आज एक ही समाचार को अलग-अलग ओपीनियन के साथ प्रकट किया जाता है जो कि जनता में भ्रम और असंतोष उत्पन्न करता है।
Newzlens.in इसी कुचक्र को तोड़ने का एक संगठित प्रयास है। इस पोर्टाल के माध्यम से हम आपको वास्तविक ख़बर तक ले जाएंगे, बिना अपना दृष्टिकोण मिलाये।
पोर्टाल के अलग-अलग खण्ड होंगे जहाँ निष्पक्षता से समाचारों के विश्लेषण को भी आपके सामने रखने का प्रयास रहेगा।
आपमें से बहुतों को आश्चर्य भी होगा कि यह व्यक्ति जिसका नाम पहले कभी नहीं सुना समाचार जगत के बारे में यह क्या कह रहा है? यह सही बात है कि मैं लंबे अरसे से मुख्य मीडिया से जानबूझकर अलग था, किन्तु 1980 से पत्रकारिता से सम्बद्ध होनेके बाद से समाचार से कभी अलग नहीं हुआ था।
दिल्ली में माया में रहा, शिखरवार्ता पत्रिका का पहला दिल्ली ब्यूरो प्रमुख रहा। धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, दिनमान, रविवार, नवभारत टाइम्स, दैनिक हिंदुस्तान, जनसत्ता, अमर उजाला, गंगा जैसी लोकप्रिय पत्रिकाओं और समाचारपत्रों में आवरण कथाएं, रविवासरीय में लीड स्टोरीज़ 1983 से 90 के दौरान में रहीं। विगत वर्षों से दैनिक आज, जनसंदेश टाइम्स, डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट में सम्पादकीय आलेख, पाञ्चजन्य पत्रिका में क्रम से कई आवरण कथाएं लिखता रहा। पाञ्चजन्य पत्रिका में विदेश/राजनैतिक मामलों के वरिष्ठ लेखक के रूप में उनके ‘हमारे लेखक’ कैटेगरी में उपस्थिति, मेरा अहो-भाग्य है।  
इन सब से इतर, वर्ष 1984-85 से वर्ष 2000 तक आकाशवाणी दिल्ली से हिंदी समाचार वाचन और सम्पादन का भी सौभाग्य मुझे रहा। दूरदर्शन केलिए स्क्रिप्ट लेखन और एंकरिंग की। इसी के अंतर्गत वर्ष 1987 में स्वर्गीय प्रभाष जोशी जी से जनसत्ता से वरिष्ठ पद पर सम्बद्ध होने नियुक्ति-पत्र भी प्राप्त हुआ। हाल-फिलहाल, लोकसभा टीवी में बतौर पाकिस्तानी/विदेशी मामलों के विशेषज्ञ के रूप में भी उपस्थित रहा।
रोज़ी केलिए संस्थान बद्ध होने की अपनी सीमाएं होती हैं, उनसे अब मुक्त हुआ चाहता हूँ।
अतः, पुनः अपनी पत्रकारिता की दुनिया में सक्रियता से सम्बध्द हो रहा हूँ। उपरोक्त पंक्तियां मजबूरन लिखी गई हैं, आत्म-प्रशंसा में नहीं। सुधिजन इसका संज्ञान लेंगे।
आप सबके सहयोग की अपेक्षा रहेगी।
भारतीय नव वर्ष की अशेष शुभकामनाओं के साथ।
आपका,
सुधेन्दु ओझा (9868108713/7701960982)
वर्ष-2021

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