Category: कथा
-
सब कुछ लुटा के : कहानी जनसत्ता
https://www.jansatta.com/sunday-magazine/jansatta-story-sab-kuch-lutake/650347/
-
-
ना जाने कौन सी खिड़की खुली थी : दुख की अनुभूति
अमूमन सुबह थोडी जल्दी नींद खुल जाती है पर उस दिन छुट्टी थी इसलिये सुबह थोडी देर से सोकर उठे। बालकनी मे आये तो देखा आसमान मे काले बादल छाये थे और बहुत अच्छी हवा भी चल रही थी। हल्की बरसात के आसार थे। मौसम बहुत ही खुशनुमा था तो सोचा छत पर चलकर मौसम…
-
गुलेल सेना
एक दौर था या यूँ कहें कि एक समय था जब पूरा भारत अंग्रेजों के आधीन था। क्या गांव क्या शहर हर जगह लोग अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार से त्रस्त थे। सम्पूर्ण भारत मे जगह जगह अंग्रेजी हुकूमत के विरोध मे धरना , प्रदर्शन , आन्दोलन , सत्याग्रह आदि जोरों पर था। तमाम स्वतंत्रता संग्राम…
-
सौ रुपये का नोट : एक लघु संस्मरण
कोई खोई हुई या रास्ते मे गिर गयी अपनी किसी चीज को खोजा जाय और वो वापस मिल जाय तो एक सुखद अनुभूति होती है। ये बात कुछ विशेष मायने नही रखती कि उसका मूल्य क्या है। आज शाम को कुछ ऐसा ही हुआ मेरे साथ। शाम के समय एक घरेलू सामान की आवश्यकता पडी…