Category: कविता

  • कविताएँ

    कविताएँ

    कविताएँ********* कविताएँथक सी गई हैंअबबहुत बोलीं, बोलती रहींरहस्यों के पट खोलती रहींपर थक गयी हैंकविताएँअबप्रेम को व्यक्त कियाबयां कियानफरतों के पीछे का प्यारबेबाक होकर,प्रेम में छिपे बनावटीपनको भी खरोंचापरत दर परत उघाड़ासमाज मे छिपेवहसीपन कोबुराइयों को खूब लताड़ासुधारा भी लोगों कोजो सुधरना चाहते थेदरकते रिश्तों को भीमजबूत नींव देने काभरसक प्रयास कियालोगों ने भावनाएँ नहीं…

  • इन्द्रधनुष सा ख्वाब तुम्हारा

    इन्द्रधनुष सा ख्वाब तुम्हारा

    थकी हुई आंखें जब मेरीगहरी नींद मे सो जाती हैं।दिल की शान्त दीवारें भी जबयाद मे तेरी खो जाती हैं। रात सुहानी गाती है जबमध्यम मध्यम राग तुम्हारा।दबे पांव फिर आ जाता हैइन्द्रधनुष सा ख्वाब तुम्हारा। बोझिल सी आंखें मेरी जबपलकों का भार न सह पाती हैं।तुम्हे देखने की ख्वाईश मेशाम ढले ही सो जाती…

  • यूँ ही…….गीत शिरोमणि स्वर्गीय नीरज जी, स्वर्गीय शेरजंग गर्ग जी और मैं……नीरजनोएडा Part-1 के बाद नीरजनोएडा 1A को अवश्य देखिए

    यूँ ही…….गीत शिरोमणि स्वर्गीय नीरज जी, स्वर्गीय शेरजंग गर्ग जी और मैं……नीरजनोएडा Part-1 के बाद नीरजनोएडा 1A को अवश्य देखिए

    यूँ ही…….गीत शिरोमणि स्वर्गीय नीरज जी, स्वर्गीय शेरजंग गर्ग जी और मैं……नीरजनोएडा Part-1 के बाद नीरजनोएडा 1A को अवश्य देखिए। यह महत्वपूर्ण कड़ी है। डॉ गोपालदास सक्सेना “नीरज”, डॉ शेरजंग गर्ग और संचालन सुधेन्दु ओझा

  • यूँ ही : स्वर्गीय नीरज जी, स्वर्गीय शेरजंग गर्ग जी और मैं सुधेन्दु ओझा पार्ट-1

    यूँ ही : स्वर्गीय नीरज जी, स्वर्गीय शेरजंग गर्ग जी और मैं सुधेन्दु ओझा पार्ट-1

    आइये आज आपको गीत शिरोमणि आदरणीय स्वर्गीय गोपाल दास नीरज जी से मिलवाता हूँ…..ध्यान से सुनिए वे बता रहे हैं कि कविता क्या होती है…..कार्यक्रम का संचालन मेरे द्वारा किया गया है।इसका दूसरा भाग भी अवश्य ही देखें….सादर,सुधेन्दु ओझा

  • नीला आस्मां सो गया :

    नीला आस्मां सो गया :

    नीला आस्मां सो गया देख इस कदर सब रोते बिलखते लोगअपनो को खोते हुए और सिसकते लोगहर किसी के साथ वो भी रो गया।नीला आस्मां सो गया। देख सब बेबस यूं ही विचरते लोगदवा से हवा से बेहद तरसते लोगकुछ ना बोला बस उन्ही मे खो गया।नीला आस्मां सो गया। अपनों की सांसों मे सांसे…

  • रिश्ते

    रिश्ते

    अपने ही कंधों पर अपनी लाश लिए मैं चलता हूँरिश्ते सारे मिथ्या हैं,मृत हैं,नित जलता हूँ,चलता हूँ। अग्नि कौन देगा यह चिंता,हे राम तुम्हारे कंधे परजपकर प्रतिपल नाम देश का,कर्म भूमि तक बढ़ता हूँ। राजनीति रिश्तों की प्रतिपल,सबको ही तड़पाती हैएक छत के नीचे हृदयहीन,मज्जा,अस्थिकलपाती है। सब के सब रिश्ते वैकल्पिक,रक्तपिपासु सब के सबअच्छा है…

  • तुम्हारी कमी रह गई

    तुम्हारी कमी रह गई

    आस्माँ मिल गया है जमीं रह गईजिन्दगी मे तुम्हारी कमी रह गई। अश्क सारे हमारे खतम हो गयेबस आंखों मे थोडी नमी रह गई। तुम गये जिन्दगी से तो ऐसा लगाधडकने भी थमी की थमी रह गईं। मैने चाही नही थी मगर दूरियांदरमियां तेरे मेरे बनी रह गई। तुम मिले भी नही और जुदा हो…

  • उपसंहार मे भी प्यार

    उपसंहार मे भी प्यार

    दिल मेरा लिखने बैठा जब व्याख्या हमारे रिश्तों की। संदर्भ और प्रसंग मे तो कुछ तुम्हे लिखा कुछ मुझे लिखा फिर क्रम आया जब व्याख्या का वो ठिठक गया कि लिखूं क्या। क्या रिश्ता मेरा तुमसे है क्या रिश्ता मुझसे है तेरा दिल को जब कुछ पता नही तो सच ही है वो लिखता क्या।…

  • अब आ भी जाओ तुम : एक गजल

    अब आ भी जाओ तुम : एक गजल

    मैं अपने दिल का तुम्हे एक एक एहसास देता हूं ,कि अब आ भी जाओ मैं तुम्हे आवाज देता हूं। तुम्हारे हाथ की नरमी अभी तक याद है मुझको,बस उसकी याद मे मैं अपनी रातें काट देता हूं। किस्मत का मेरे हर खेल अब तुम पर ही निर्भर है ,खुद ही से जीतता हूं और…

  • Welcome Raindrops !

    Welcome Raindrops !

    Raindrops ! leaving the clouds comes to the earth to give life to human and crops . Raindrops ! feed the trees feed the plants some work done but some flops . Raindrops ! pleasant weather we in dilemma heart tells to go but body stops. welcome raindrops! welcome raindrops ! (Brajesh Srivastava)