अपना नहीं समझना गगन, बेचना नहीं सरहद नहीं बनाना, पवन बेचना नहीं होगी ख़लिश मगर यहाँ दुश्मन नहीं कोई तो भूलकर भी तुम ये वतन बेचना नहीं दीवारो-दर से रिश्ता…
Category: कविता
चरवाहों से प्रश्न
रुपये की घटती कीमत बढ़ते डीजल-पेट्रोल के दाम कोरोना और डेंगू, मोरबी की मौतों पर कोहराम यूक्रेन में रूस का घात एशिया कप में भारत को मिली मात बिदेन और…
इश्क का उन्हें सफ़ा, सफ़ा चाहिए
इश्क का उन्हें सफ़ा सफ़ा चाहिए हर बेवफा को बस वफ़ा चाहिए मुझे नींद आए न आए मगर तसव्वुर में तू हर दफ़ा चाहिए मिरी कश्ती, तिरा तूफाँ दरिया तेरा…
खामोशी
तुम्हारीझुकी हुई पलकेंक्या कहती हैंजानता हूं मैं।तुम्हारेशांत गहरी झीलजैसी आंखेंक्या कहती हैंजानता हूं मैं।तुम्हारे खामोश होंठचुपचाप क्या बोलते हैंजानता हूं मैं।इन सबको मैनेपहले भीचुपचाप बोलते हुएसुना है।ये कुछ ना कहेंतब…
बचपन : बीती बातें
बातें हुईं पुरानीपरियों की वो कहानीकभी सुनाये नानाकभी सुनाये नानी।परियों की वो ….बातें हुईं ……. क्या सुन्दर बचपन थाकितना भोलापन था।चिंता नही कोई भीवो भी क्या जीवन था।कभी खेलते धूल…
चुनावी मौसम मे गांव के गरीब की दुविधा
हम गांव के छोट आदमी समझ न पायन बात।आज काहे ई बड़ा आदमी हमरे घर है खात। वकरे साथे कई आदमी लिये हैं साफ बिछौना।मिला रहा हमहुक ऐसै जब आवा…
संवेदना : चित्र आधारित कविता
क्या सम और विषमता क्यापरिस्थितियां अपनी एक सी हैं। जन्म दिवस कुछ याद नहीस्थितियाँ अपनी एक सी हैं। कूडे के ढेर मे मिला हमेखुशियों का एक बहाना जबयूं लगा कि…
हाइकु
-चन्द्रकान्त पाराशर शिमला हिल्स(लिमोन,कोस्टा रीका,मध्य अमरीका प्रवास ) (1)ताड़ के पेड़सागर-तट परबाट जोहते । (2)आतीं लहरेंसागर की तरफ़गगन-छोर । (3)भरे बादलकोहरे के जाल मेंप्राणी-जगत । (4)झूमते तृणलहलहाते वनबहका मन ।…
दृश्य और परिदृश्य : कविता
जो दिखता हैया दिखाया जाता हैआवश्यक नही ;वो सत्य और उचित होया सामयिक भी हो।जो हम देखते हैं ;वो तो महज दृश्य है।क्या है दृश्य के पार ?क्या होगा दृश्य…