Category: कविता

  • ग़ज़ल

    ग़ज़ल

    अपना नहीं समझना गगन, बेचना नहीं सरहद नहीं बनाना, पवन बेचना नहीं होगी ख़लिश मगर यहाँ दुश्मन नहीं कोई तो भूलकर भी तुम ये वतन बेचना नहीं दीवारो-दर से रिश्ता तो होता है, दोस्तो! झूठी मगर हो शान तो तन बेचना नहीं बैठा हो घुटने टेक, पसीने में इक ग़रीब दे देना उसको मुफ़्त, क़फ़न…

  • विवेकानंद जयंती की पूर्वसंध्या पर कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन

    विवेकानंद जयंती की पूर्वसंध्या पर कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन

    गोंडा: उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के द्वारा टाउन हाल में साहित्योत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अपर निदेशक चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण देवीपाटन मण्डल डॉ0 अनिल मिश्र ने मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित करके किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बहराइच से आए ’साहित्य भूषण’ से सम्मानित रामकरण मिश्र ’सैलानी’ ने…

  • चरवाहों से प्रश्न

    चरवाहों से प्रश्न

    रुपये की घटती कीमत बढ़ते डीजल-पेट्रोल के दाम कोरोना और डेंगू, मोरबी की मौतों पर कोहराम यूक्रेन में रूस का घात एशिया कप में भारत को मिली मात बिदेन और जेलेंसकी की बातें युद्धक साइरन की भयावह रातें हिंदुस्तान में हिजाब के लिए लड़ाई ईरान में इसके विरोध में कूटम-कुटाई पाकिस्तान में प्रजातन्त्र नहीं है…

  • इश्क का उन्हें सफ़ा, सफ़ा चाहिए

    इश्क का उन्हें सफ़ा, सफ़ा चाहिए

    इश्क का उन्हें सफ़ा सफ़ा चाहिए हर बेवफा को बस वफ़ा चाहिए मुझे नींद आए न आए मगर तसव्वुर में तू हर दफ़ा चाहिए मिरी कश्ती, तिरा तूफाँ दरिया तेरा डूबने को क्या इसके सिवा चाहिए सिक्कों पर रक्स को, प्यार कहते हैं हर मोहब्बत को अब नफ़ा चाहिए तुझे चाह के जो- खता की…

  • खामोशी

    खामोशी

    तुम्हारीझुकी हुई पलकेंक्या कहती हैंजानता हूं मैं।तुम्हारेशांत गहरी झीलजैसी आंखेंक्या कहती हैंजानता हूं मैं।तुम्हारे खामोश होंठचुपचाप क्या बोलते हैंजानता हूं मैं।इन सबको मैनेपहले भीचुपचाप बोलते हुएसुना है।ये कुछ ना कहेंतब भीबहुत कुछकहती हैं।मैं परिचित हूंइन सब सेपहले से ही। ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव 

  • बचपन : बीती बातें

    बचपन : बीती बातें

    बातें हुईं पुरानीपरियों की वो कहानीकभी सुनाये नानाकभी सुनाये नानी।परियों की वो ….बातें हुईं ……. क्या सुन्दर बचपन थाकितना भोलापन था।चिंता नही कोई भीवो भी क्या जीवन था।कभी खेलते धूल मेऔर खेलते पानीबातें हुई पुरानी ……. कोई सिखाता हमकोदेखो ये मत करनाकोई सिखाता हमकोदेखो वो मत करना।पर हम कुछ ना सुनतेकरते बस मनमानी।बातें हुईं पुरानी….…

  • चुनावी मौसम मे गांव के गरीब की दुविधा

    चुनावी मौसम मे गांव के गरीब की दुविधा

    हम गांव के छोट आदमी समझ न पायन बात।आज काहे ई बड़ा आदमी हमरे घर है खात। वकरे साथे कई आदमी लिये हैं साफ बिछौना।मिला रहा हमहुक ऐसै जब आवा रहा है गौना। आपन थरिया गिलास और आपन लिये कटोरी।हम सोचा का हमरे साथे आज यनहूं खइहैं भौरी। हमरे साथ ही हमरे अंगनम बैठ गये…

  • संवेदना : चित्र आधारित कविता

    संवेदना : चित्र आधारित कविता

    क्या सम और विषमता क्यापरिस्थितियां अपनी एक सी हैं। जन्म दिवस कुछ याद नहीस्थितियाँ अपनी एक सी हैं। कूडे के ढेर मे मिला हमेखुशियों का एक बहाना जबयूं लगा कि जैसे पूर्व जन्म कीत्रुटियां अपनी एक सी हैं। शुभ हो ये जन्म-दिवस हमकोतुम मुझे कहो मैं तुम्हे कहूँक्या फर्क हमे सच हो या गलतविसंगतियां अपनी…

  • हाइकु

    हाइकु

    -चन्द्रकान्त पाराशर शिमला हिल्स(लिमोन,कोस्टा रीका,मध्य अमरीका प्रवास ) (1)ताड़ के पेड़सागर-तट परबाट जोहते । (2)आतीं लहरेंसागर की तरफ़गगन-छोर । (3)भरे बादलकोहरे के जाल मेंप्राणी-जगत । (4)झूमते तृणलहलहाते वनबहका मन । (5)भरे बादलछूते उत्तुंग शृंगखुश भू-देवी । (6)सरका मार्गसरकती सड़कथे रुके हम । (7)वर्षा वन मेंगगन स्पर्शी पेड़झरते पत्ते। (8)श्याम बादलबीच झांक देखतानीला आकाश। (9)समुद्र-तटबहती पुरवाईजीने…

  • दृश्य और परिदृश्य : कविता

    दृश्य और परिदृश्य : कविता

    जो दिखता हैया दिखाया जाता हैआवश्यक नही ;वो सत्य और उचित होया सामयिक भी हो।जो हम देखते हैं ;वो तो महज दृश्य है।क्या है दृश्य के पार ?क्या होगा दृश्य के बाद?क्या पता , किसे पता ?इसलिये आवश्यक है ;दृश्य देखते समयबीच मे कभी कभीगर्दन घुमाते रहनाअनुभव करते रहनाअपने आस -पास काऔर चारों तरफ काऔर…