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  • ना जाने कौन सी खिड़की खुली थी : दुख की अनुभूति

    ना जाने कौन सी खिड़की खुली थी : दुख की अनुभूति

    अमूमन सुबह थोडी जल्दी नींद खुल जाती है पर उस दिन छुट्टी थी इसलिये सुबह थोडी देर से सोकर उठे। बालकनी मे आये तो देखा आसमान मे काले बादल छाये थे और बहुत अच्छी हवा भी चल रही थी। हल्की बरसात के आसार थे। मौसम बहुत ही खुशनुमा था तो सोचा छत पर चलकर मौसम…